जानिए मनु और मनवन्तर

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
FILE
सभी भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव, आदम, आदमी आदि सभी मनु शब्द से प्रभावित है। सभी मनु मानव जाति के संदेशवाहक हैं। संसार के प्रथम पुरुष स्वायंभुव मनु और प्रथम स्त्री थी शतरूपा। इन्हीं प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई। मनु की सन्तान होने के कारण वे मानव कहलाए।

मानव उसे कहते हैं जिसमें जड़ और प्राण से कहीं ज्यादा सक्रिय है- मन। मनुष्य में मन की ताकत है, विचार करने की ताकत है, इसीलिए उसे मनुष्य कहते हैं। चूँकि यह सभी 'मनु' की संतानें हैं इसीलिए मनुष्‍य को मानव भी कहा जाता है।

कौन है मनु : मनु है एक मनुष्य जो अपने कर्मों से महान बन गए। जिन्होंने मानव समाज को शिक्षित, विकसित और समझदार बनाने के लिए धर्म, शिक्षा, तकनीक, व्यवस्‍था और कानून दिया। ठीक उसी तरह जिस तरह जैन धर्म में 14 कुलकरों ने समाज के लिए काम किया। इन्होंने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना बल्कि यह वेदों की सच्ची राह पर चलते गए और महान राजा मन गए। राजा मनु।

14 मनुओं के नाम : चौदह मनुओं के नाम: 1.स्वायम्भु, 2.स्वरोचिष, 3.औत्तमी, 4.तामस मनु, 5.रैवत, 6.चाक्षुष, 7.वैवस्वत, 8.सावर्णि, 9.दक्ष सावर्णि, 10.ब्रह्म सावर्णि, 11.धर्म सावर्णि, 12.रुद्र सावर्णि, 13.रौच्य या देव सावर्णि और 14.भौत या इन्द्र सावर्णि।

क्या है मनवंतर : मनवंतर समय मापन की खगोलीय अवधि है। मन्वन्तर एक संस्कॄत शब्द है, जिसका अर्थ मनु+अन्तर होता है मूल अर्थ है मनु की आयु अर्थात मनवंतर। चौदह मनु और उनके मन्वन्तर को मिलाकर एक कल्प बनता है।

एक मनवंतर काल खत्म होने पर प्रलय होती है और सभी मनुष्य और प्राणी जगत विलुप्त हो जाते हैं अर्थात धरती पर से जीवन समाप्त हो जाता है। इसके बाद पुन: सृष्टि का क्रमश: प्रारंभ होता है।

मन्वन्तर की अवधि : विष्णु पुराण के अनुसार मन्वन्तर की अवधि इकहत्तर चतुर्युगी के बराबर होती है। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त वर्ष भी जोड़े जाते हैं। एक मन्वन्तर=71 चतुर्युगी= 852,000 दिव्य वर्ष= 306,720,000 मानव वर्ष। मतलब 30 करोड़ 67 लाख 20 हजार वर्ष।

' प्राचीन ग्रन्थों में मानव इतिहास को पांच कल्पों में बांटा गया है। (1).हमत् कल्प एक लाख नौ हजार आठ सौ वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर 85800 वर्ष पूर्व तक, (2).हिरण्य गर्भ कल्प 85800 विक्रमीय पूर्व से 61800 वर्ष पूर्व तक, ब्राह्म कल्प 60800 विक्रमीय पूर्व से 37800 वर्ष पूर्व तक, (3).ब्रह्म कल्प 60800 विक्रमीय पूर्व से 37800 वर्ष पूर्व तक, (4).पद्म कल्प 37800 विक्रम पूर्व से 13800 वर्ष पूर्व तक और (5).वराह कल्प 13800 विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर इस समय तक चल रहा है।

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तामस मनु, रैवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से 5630 वर्ष पूर्व हुआ था।

- संदर्भ हिन्दू पुराण और महाभारत

Show comments

Nautapa 2024: नौतपा में यदि ये 4 पेड़- पौधे लगा दिए तो जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहेगी, कुंडली के ग्रह भी होंगे मजबूत

Mandir puja samay : मंदिर में यदि इस समय की पूजा तो नहीं मिलेगा फल

Bada Mangal 2024 : जानें कब-कब रहेगा बड़ा मंगल, कर लिया इस दिन व्रत तो भाग्य बदल जाएगा

Tulsi : तुलसी के पास लगाएं ये तीन पौधे, जीवनभर घर में आएगा धन, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

Astro prediction: 18 जून को होगी बड़ी घटना, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है भविष्यवाणी

29 मई 2024 : आपका जन्मदिन

29 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

4 जून 2024 को नरेंद्र मोदी फिर से पीएम बने तो ज्योतिष की नजर में घटेगी ये 3 महत्वपूर्ण घटनाएं

Badrinath Yatra: 650 से अधिक यात्री बद्रीनाथ के दर्शन किए बिना ही लौटे, अधिकारियों का अनिवार्य पंजीकरण पर जोर

Mithun Sankranti 2024 : मिथुन संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व