Dharma Sangrah

मंदिर में जाने से पहले आखिर क्यों बजाते हैं घंटी?

Webdunia
FILE
मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। लेकिन इस घंटे या घंटी लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? कभी आपने सोचा कि यह किस कारण से लगाई जाती है?

घंटियां 4 प्रकार की होती हैं : 1. गरूड़ घंटी, 2. द्वार घंटी, 3. हाथ घंटी और 4. घंटा।

1. गरूड़ घंटी : गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है।
2. द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकी होती है। यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है।
3. हाथ घंटी : पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं।
4. घंटा : यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा। इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है।

अगले पन्ने पर वैज्ञानिक कारण...


मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इनकी आवाज को आधार देते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

अत: जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती हैं। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

अगले पन्ने पर धार्मिक कारण...


पहला कारण घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।

दूसरा कारण यह कि घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।

तीसरा कारण यह कि जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है।

उल्लेखनीय है कि यही नाद 'ओंकार' के उच्चारण से भी जागृत होता है। कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shani ka gochar: दशहरे के ठीक 1 दिन बाद होगा शनि का नक्षत्र परिवर्तन, 3 अक्टूबर से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Diwali 2025 date: दिवाली कब है वर्ष 2025 में, एक बार‍ फिर कन्फ्यूजन 20 या 21 अक्टूबर?

Sharad purnima 2025: कब है शरद पूर्णिमा, क्या करते हैं इस दिन?

Monthly Horoscope October 2025: अक्टूबर माह में, त्योहारों के बीच कौन सी राशि होगी मालामाल?

October 2025 hindu calendar: अक्टूबर 2025 के प्रमुख व्रत-त्योहार, पुण्यतिथि और जयंती

सभी देखें

धर्म संसार

कोजागिरी शरद पूर्णिमा व्रत पर पढ़ें पौराणिक कथा

05 October Birthday: आपको 5 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 05 अक्टूबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Shani:27 साल बाद 03 अक्टूबर को शनि देव ने किया बृहस्पति के नक्षत्र में प्रवेश, 12 राशियों का राशिफल

Karwa chauth 2025 date: करवा चौथ कब है वर्ष 2025 में?