- कमल शर्म ा भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में कटौती नहीं की, इससे सबसे ज्यादा कंसट्रक्शन कंपनियाँ निराश हुई हैं। इन कंपनियों को उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक ने यदि ब्याज दर को 25 बेसिस अंक भी घटाया तो लोग उनके बने मकान, फ्लैट या व्यावसायिक जगह बैंकों से कर्ज लेकर खरीदेंगे क्योंकि उनके कुछ पैसे इसमें बचेंगे। लेकिन, रिजर्व बैंक ने इन कंपनियों के साथ उन लोगों के सपने को भी बिखेर दिया जो ब्याज दर में कमी की आस लगाए बैठे थे।
हालाँकि भारतीय पूँजी बाजार में पिछले दो साल में रियालिटी या कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर ढेरों कंपनियाँ पूँजी बाजार में आई और निवेशकों को लैंड बैंक के साथ बढ़ती माँग के नाम पर खूब ऊँचे दामों में अपने शेयर बेचे हैं।
इन कंपनियों के इश्यू की बाढ़ ने देश्ा के हर शहर, कस्बे में जमीन और मकानों की कीमतें रातोरात इतनी अधिक बढ़ा दी कि आम आदमी यही अफसोस कर रहा है कि काश, जिंदगी में एक छोटा-सा मकान पेट काटकर पहले ले लिया होता तो अच्छा रहता। खैर! रियालिटी डेवलपरों का कहना है कि ब्याज दर महँगी होने की वजह से उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है।
खुद भारतीय रिजर्व बैंक के आँकड़ों के मुताबिक अप्रैल से नवंबर 2007 के दौरान घर कर्ज की माँग में 39 फीसदी कमी आई है। इस अवधि में यह राशि 32424 करोड़ रुपए रही। डेवलपर्स को दिए जाने वाले परियोजना कर्ज में भी 25 फीसदी की कमी आई और यह राशि 12563 करोड़ रुपए रही।
बेंगलुरू, कोच्चि, हैदराबाद, नोएडा और गुडगाँव जहाँ प्रोपर्टी के दाम बेहद तेज गति से बढ़े थे, अब दस फीसदी कम हो गए हैं। असल में भाव अपने पिछले स्तर से कम नहीं हुए हैं, बल्कि आसमान जा पहुँचे भाव में दस फीसदी की कमी आई है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की बात की जाए तो नवंबर 2007 में सभी तरह के रजिस्ट्रेशन 12903 रहे, जो नवंबर 2006 में 14161 थे।
कोटक रियालिटी के एस श्रीनिवास कहते हैं कि पिछले दो साल में रियल इस्टेट डेवलपर्स ने 25 अरब डॉलर जुटाए हैं। हालांकि, बड़े डेवलपर्स बिक्री घटने के बावजूद दाम घटाने की जल्दबाजी में नहीं हैं, लेकिन निवेशक जो प्रोपर्टी या ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें थोड़ा रुकना चाहिए। इस संकेत के लिए इतिहास में घटी इस घटना पर मनन करना उचित होगा।
भारतीय शेयर बाजार में वर्ष 1930 में बॉम्बे रिक्लेमेशन नामक कंपनी सूचीबद्ध थी जिसका भाव उस समय छह हजार रुपए प्रति शेयर बोला जा रहा था, जबकि लोगों का वेतन उस समय दस रुपए महीना होता था। कंपनी का दावा था कि वह समुद्र में से जमीन निकालेगी और मुंबई को विशाल से विशाल शहर में बदल देगी लेकिन हुआ क्या? कंपनी दिवालिया हो गई और लोगों को लगी बड़ी चोट। अब यह लगता है कि अनेक रियालिटी या कंसट्रक्शंस के नाम पर कुछ कंपनियाँ फिर से इतिहास दोहरा सकती हैं।
आप खुद सोचिए कि ऐसा क्या हुआ कि रातोरात ये कंपनियाँ जो अपने आप को करोड़ों रुपए की स्वामी बता रही हैं, आम निवेशक को अपना मुनाफा बाँटने आ गईं। प्रॉपर्टी में ऐसा क्या हुआ है कि भाव दिन दोगुने और रात चौगुने बढ़े हैं। क्या आम आदमी की खरीद शक्ति ब्याज दरों के काफी ऊँचा होने के बावजूद जोरदार ढंग से बढ़ रही है या फिर यह आर्टिफिशियल गेम है।
केशोराम इंडस्ट्रीज : डार्क हॉर्स बसंत कुमार बिड़ला समूह की कंपनी केशोराम इंडस्ट्रीज का शेयर आज 30 जनवरी 2008 को 478 रुपए पर बंद हुआ है, लेकिन अभी भी इसमें विपुल संभावनाएँ हैं और यह निश्चित रूप से बढ़ेगा। हालाँकि, 5 अप्रैल 2007 को इसका भाव 295 रुपए था जो 11 दिसंबर, 2007 को 675 रुपए पहुँच गया था। केशोराम इंडस्ट्रीज के कार्य प्रदर्शन को देखते हुए मध्यम अवधि में इसका शेयर 625 रुपए की ऊँचाई पर पहुँच सकता है। इसका बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कोड 502937 है।
केशोराम इंडस्ट्रीज सीमेंट, ऑटोमोबाइल टायर एवं ट्यूब, विस्कॉस फिलामेंट यार्न एवं ट्रांसपरेंट पेपर, हैवी केमिकल्स, कॉस्टिक सोडा, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, स्पन पाइप्स और रिफ्रैक्टरीज के उत्पादन से जुड़ी हुई है। कंपनी की एक डिवीजन केशोराम रेयॉन का पश्चिम बंगाल के नयासारी में रेयॉन संयंत्र है जिसकी स्थापित क्षमता साढ़े छह टन सालाना है। इस संयंत्र में 3600 टन सालाना सेलोफेन पेपर, 3600 टन सालाना कार्बन-डी-सलफाइड और 36500 टन सालाना सलफ्यूरिक एसिड का उत्पादन किया जाता है। केशोराम की सीमेंट ब्रांड बिड़ला शक्ति है, जबकि टायर बिड़ला टायर्स के नाम से बिकते हैं।
केशोराम इंडस्ट्रीज की बिक्री 30 सितंबर, 2007 को समाप्त तिमाही में 776.24 करोड़ रुपए थी और कुल आय 782.89 करोड़ रुपए रही। शुद्ध लाभ 89.46 करोड़ रुपए रहा। जबकि, 30 जून, 2007 को समाप्त तिमाही में इसकी बिक्री 669.99 करोड़ रुपए और कुल आय 679.28 करोड़ रुपए रही। शुद्ध मुनाफा 80.68 करोड़ रुपए था। कंपनी की कुल इक्विटी 45.74 करोड़ रुपए है। इसका बाजार पूँजीकरण 2799.49 करोड़ रुपए है। बुक वेल्यू की बात की जाए तो वह 178.83 रुपए और पीई 8.87 है।
कंपनी की शेयरधारिता देखें तो प्रमोटरों के पास 21.87 फीसदी शेयर है, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास 9.07 फीसदी, अन्य के पास 55.53 फीसदी शेयर हैं। आम जनता के पास केशोराम इंडस्ट्रीज के केवल 13.23 फीसदी शेयर हैं।
देश की अर्थव्यवस्था जिस गति से विकास कर रही है, ऐसे में विविध उत्पादों वाली केशोराम इंडस्ट्रीज का भविष्य बेहतर लग रहा है। ढाँचागत विकास मसलन पुल, बाँध, टाउनशिप, सेज के साथ सड़क परिवहन का विकास केशोराम की सीमेंट और टायर बिक्री को बढ़ाएगा इसमें कोई दो राय नहीं। कंपनी ने अपनी विभिन्न उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विशाल पूँजीगत निवेश की योजना बनाई है, जिसके फल आने वाले दिनों में निवेशकों को मिलेंगे।
स्पष्टीकरण : केशोराम इंडस्ट्रीज में खरीद सलाह जारी करते समय मेरा अपना निवेश नहीं है।
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