शेयरों में आया रिटर्न का मौसम

Webdunia
- कमल शर्म ा
भारतीय शेयर बाजार में नए सप्‍ताह की शुरुआत नरमी के विपरीत गर्मी से हुई। हालाँकि अधिकतर निवेशक और कारोबारी यह मानते थे कि इस सप्‍ताह का आरंभ नरमी से होगा क्‍योंकि देश का एक बड़ा निवेशक यह खबर फैलाने में सफल रहा था कि बाजार अब टूटेगा ताकि निवेशकों से बेहतर कंपनियों के शेयर सस्‍ते में लिए जा सकें।

पिछले 25 वर्ष के इतिहास को देखें तो शेयर बाजार दिसंबर से फरवरी के बीच बेहतर रिटर्न देता है। निवेशकों को हर चार साल में से तीन साल यह रिटर्न मिला है। दिसंबर से फरवरी के दौरान भारतीय शेयर बाजार औसतन 40 फीसदी का रिटर्न देते हैं, ऐसे में स्‍वाभाविक है कि इस लोभ को कोई छोड़ना नहीं चाहेगा।

हालाँकि शेयर बाजार में पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से इस खबर को फैलाया गया कि बस अब बड़ी गिरावट आ रही है। अपना पोर्टफोलियों खाली कर दो। लेकिन जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, उन्‍हें वैसे भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह खुद वित्तमंत्री चिदंबरम का बयान कि अगले दो दशक तक भारत आर्थिक विकास के मार्ग पर अग्रसर रहेगा और मजबूत निवेश और पूँजी का प्रवाह बना रहेगा। हालाँकि वे आर्थिक सुधारों में हो रही देरी को उचित नहीं मानते। लेकिन उनकी मुख्‍य चिंता निवेश वृद्धि को बनाए रखना है।

मॉगर्न स्‍टेनले के रिद्धम देसाई मानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार के सेंटीमेंट काफी मजबूत हैं और सट्टात्‍मक गतिविधियाँ भी जोरों पर हैं। साथ ही अमेरिकी फैड बैंक ब्‍याज दर में कटौती करता है तो यह शेयर बाजार के लिए बढ़िया खबर होगी।

लेहमैन ब्रदर्स के प्रभात अवस्‍थी भी कहते हैं कि भारतीय शेयर बाजार इस समय रेंज बाउंड रह सकते हैं, लेकिन यह आकर्षक बाजार है। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि जब तक सेंसेक्‍स 20238 अंक से ऊपर बंद नहीं होता, ब्रेकआउट संभव नहीं है। कुल मिलाकर सेंसेक्‍स के 20238-18100 अंक के बीच घूमते रहने की संभावना है।

वैसे सभी को इंतजार इस बात का है कि अमेरिकी फैड बैंक 11 दिसंबर को अपनी बैठक में ब्‍याज दर में कितनी कटौती करता है। इससे पहले 6 दिसंबर को यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्‍लैंड की ब्‍याज दर को लेकर बैठक होगी। हालाँकि अभी तक यह माना जा रहा है कि अमेरिकी फैड बैंक ब्‍याज दर में निश्चित रुप से कटौती करेगा जिसका शेयर बाजार पर अनुकूल असर होगा।

आम निवेशक की समस्‍या यह है कि वह अमेरिकी और एशियाई शेयर बाजारों के रुझान का भारतीय शेयर बाजार पर पड़ने वाले असर को भाँप नहीं पा रहा है। निवेशकों के लिए इस तरह की चिंता करना जायज है और हर निवेशक को यह रणनीति तो बनानी व बदलनी होगी कि नया निवेश कहाँ किया जाए। शेयर, सोना, बैंक जमा, बांड आदि या फिर घरेलू बाजार अथवा विदेशी बाजार जहाँ रिटर्न उम्‍दा मिलने की संभावना हो।

शेयर बाजार में जरा-सी भी मंदी की आहट हर निवेशक को बिकवाली पर उतरने के लिए सोचने को मजबूर कर देती है और लोग बार-बार बस यही सवाल करते हैं कि अब क्‍या करें। क्‍या पूरा पोर्टफोलियो बेच दें। एक दिन में कई लोग तो यही सवाल 25 बार कर देते होंगे, लेकिन हर बढ़त पर उत्‍साह और हर गिरावट पर चिंता ठीक नहीं है।

यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो भारतीय शेयर बाजार में अगले दस साल तक तेजी का माहौल बना रहे तो अचरज नहीं होना चाहिए। हो सकता है तेजी का यह माहौल इससे भी ज्‍यादा समय तक बना रहे। हालाँकि यह भी सच है कि तेजी हर सेक्‍टर और हर शेयर में नहीं रहेगी। इसलिए आपको बेहतर कंपनियों का चयन करना होगा।

निवेशकों को इस समय इंडेक्‍स को न देखकर शेयर विशेष को देखकर कारोबार करना चाहिए क्‍योंकि इंडेक्‍स दिसंबर अंत तक इसी तरह ढुलमुल चल सकता है। जबकि आपको कोई-कोई शेयर इस दौरान इंडेक्‍स के नीचे रहने पर भी बड़ा मुनाफा दे सकता है जैसा कि भूषण स्‍टील में हुआ।

हर कोई अमेरिकी बाजार में मंदी के खासे संकेत होने से भारतीय शेयर बाजार का भी जायका बिगड़ने की बात कह रहा है लेकिन हम इस बात को दूसरे तरीके से लेते हैं। मसलन एक निवेशक को जब एक बाजार में पैसा कमाने को नहीं मिलता है तो वह दूसरे बाजार की तलाश करता है, जहाँ उसे बेहतर रिटर्न मिल सके।

रिटर्न के मामले में भारतीय बाजार आने वाले कई वर्ष तक बेहतर रहेगा। जिसकी वजह से अमेरिकी बाजार के टूटने पर भी पैसा भारतीय बाजार में आता रहेगा। इस समय दुनिया भर के बड़े संस्‍थागत निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए लालायित हैं।

सेबी अध्‍यक्ष भी कह चुके हैं कि 'पी नोट्‍स' पर उठाए गए कदम के बाद अब विदेशी निवेशकों के रजिस्‍ट्रेशन पाने के आवेदनों की संख्‍या में बढ़ोतरी हो रही है। अब तक रजिस्‍टर्ड एफआईआई की संख्‍या 1170 और सब अकाउंट की संख्‍या 3552 पहुँच चुकी है। हालाँकि एफआईआई रजिस्‍ट्रेशन और धन प्रवाह का कोई संबंध नहीं होता क्‍योंकि सब कुछ बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन यह लंबी अवधि में फायदेमंद रहेगा।

विदेशी संस्‍थागत निवेशकों यानी एफआईआई ने नवंबर में 145 करोड़ डॉलर बाजार से निकाले हैं। हालाँकि अब इन संस्‍थागत निवेशकों की बड़ी बिकवाली निकलने की उम्‍मीद कम है क्‍योंकि अधिकतर शेयरों खासकर मिडकैप उन्‍हें अच्‍छे लग रहे हैं और जाहिर है वे भी इस 40 फीसदी रिटर्न का लालच नहीं छोड़ना चाहेंगे।

*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।

Show comments

जरूर पढ़ें

Delhi Assembly Election 2025 : आयकर छूट का दांव दिल्ली चुनाव में कितना आएगा काम, बजट में बिहार को तवज्जो

बुरे फंसे बागेश्वर बाबा, धीरेन्द्र शास्त्री को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का तगड़ा जवाब

Budget 2025 : मोदी सरकार के बजट पर क्या बोले राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल

जयराम रमेश ने बताया, कैसे पटरी से उतर गया निर्मला सीतारमण का बजट?

कभी घरों में बर्तन मांजती थीं दुलारी देवी जिनकी बनाई साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, जानिए उनकी प्रेरक कहानी

सभी देखें

नवीनतम

MP आएंगी जापान की बड़ी कंपनियां, दौरे से लौटकर CM मोहन यादव ने प्रेस कॉन्फेंस में क्या बताया

Union Budget 2025 : बीमा में 100 फीसदी FDI की अनुमति, किसने लगाया षड्यंत्र की आशंका का आरोप

Maha Kumbh 2025 : भगदड़ के बाद संगमनोज पहुंचे CM योगी आदित्यनाथ, पीड़ितों के दर्द पर मरहम का प्रयास

Delhi Assembly Election 2025 : आयकर छूट का दांव दिल्ली चुनाव में कितना आएगा काम, बजट में बिहार को तवज्जो

बजट के बाद आयकर पर क्‍या बोलीं वित्तमंत्री सीतारमण, जानिए...