जानिए एक से चौदह मुखी रुद्राक्ष

कल्याणकारी है शिव के प्रिय रुद्राक्ष

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रुद्राक्ष शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ फल‍दायिनी वृक्ष है, जो समस्त सुखों को देने वाला तथा समस्त दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाला है। सभी मुखों के रुद्राक्ष का अलग-अलग प्रभाव होता है।

धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं।

* एकमुखी रुद्राक्ष : एकमुखी रुद्राक्ष का अत्यधिक महत्व है। यह इतना प्रभावशाली होता है कि जिस व्यक्ति के पास एकमुखी रुद्राक्ष होता है उसे शिव के समान समस्त शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं।

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* द्विमुखी रुद्राक्ष : द्विमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति से अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं।

* त्रिमुखी रुद्राक्ष : सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप हैं। यह रुद्राक्ष ‍अग्निस्वरूप माना गया है। यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है।

* चतुर्मुखी रुद्राक्ष : ब्रह्म का प्रतिनिधि है चतुर्मुखी रुद्राक्ष। यह शिक्षा में सफलता देता है। इससे बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते हैं।

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* पंचमुखी रुद्राक्ष : पंचमुखी रुद्राक्ष समस्त पापों से मुक्त करने वाला है तथा समस्त सिद्धियों को देने वाला है।

* छ: मुख ी रुद्राक्ष स्वयं गणेश है। कुछ इसको कार्तिकेय भी मानते हैं। अत: इसे धारण करने से कार्तिकेय तथा गणेश दोनों ही प्रसन्न होते हैं। इसके धारण करने से बुद्धि बढ़ती है तथा ब्रह्म हत्या का दोष नहीं लगता है।

* सप्तमुखी रुद्राक् ष के धारण करने वाले को महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

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* अष्टमुखी रुद्राक्ष सब देवताओं को प्रसन्न करने वाला है। समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है।

* नौमुखी रुद्राक् ष स्वयं भैरव है। इसके धारण करने से यमराज का भय नहीं रहता है।

* दस मुखी रुद्राक्ष स्वयं विष्णु है। इसके धारण करने से दसों दिशाओं में यश बढ़ता है तथा भूत-पिशाच का भय नहीं रहता है।

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* ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले से इन्द्र देवता प्रसन्न रहते हैं। यदि किसी व्यक्ति के मन में किसी वस्तु के दान करने की अभिलाषा हो और न कर पाया हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से उक्त दान की पूर्ति हो जाती है और उसे हजारों गोदान का पुण्य मिलता है।

* समस्त भोग प्रदान करने वाला बारह मुखी रुद्राक्ष स्वयं विष्णु है। इसके धारण करने से शस्‍त्र आदि का भय नहीं रहता है।

* तेरह मुखी रुद्राक्ष कामदेव है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को समस्त भोग प्राप्त होते हैं।

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* चौदह मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव है। इस रुद्राक्ष के धारण करने वाले को समस्त लोक में मान-सम्मान मिलता है। इसके धारण मात्र से मनुष्य साक्षात शिवस्वरूप हो जाता है।
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