जंग : नज़्म

Webdunia
शायर : निदा फ़ाज़ली

सरहदों पर फ़तहा का ऎलान हो जाने के बाद
जंग
बे-घर
बे-सहारा
सर्द ख़ामोशी में बिखर के
ज़र्रा ज़र्रा फैलती है,
तेल,
घी,
आटा
खनकती चूड़ियों का रूप भर कर
बस्ती-बस्ती डोलती है,
दिन दहाड़े
हर गली कूंचे में घुस कर
बन्द दरवाज़ों की सांकल खोलती है,
मुद्दतों तक
जंग घर घर बोलती है,
सरहदों पर फ़तहा का ऎलान हो जाने के बाद

पेशकश : अज़ीज़ अंसारी
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

चार चरणों के मतदान में उभरी प्रवृत्तियां काफी संकेत दे रही है

ऑफिस में बैठे-बैठे बढ़ने लगा है वजन?

Negative Thinking: नकारात्मक सोचने की आदत शरीर में पैदा करती है ये 5 बीमारियां

नॉर्मल डिलीवरी के लिए प्रेगनेंसी में करें ये 4 एक्सरसाइज