दिवाली आई दीप जलाएँ : शेरी भोपाली

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पेशकश : अज़ीज ़ अंसार ी

बना कर आज दुखों को गीत = बदल दें जीवन पथ की रीत
ख़ुशी की घड़ियाँ जाएँ न बीत = उठो है आज तुम्हारी जीत
चलो आकाश से तारे लाएँ ----= दिवाली आई दीप जलाएँ

मिटा दें अंधियारों को आज ---= चुरा लें चाँद का जगमग ताज
चलाएँ मेहनत के बल राज ---= बनाएँ देश के बिगड़े काज
दिलों में आशाएँ मुस्काएँ ----= दिवाली आई दीप जलाएँ

जला के घर-घर प्रीत की आग= सुनाएँ पग पग दीपक राग
संभालें जीवन रथ की बाग--= कुचल डालें ज़हरीले नाग
पतंगे भी जुगनू बन जाएँ ---= दिवाली आई दीप जलाएँ

लबों पर कलियों की मुस्कान = दिलों में हिमगिरी सा अभिमान
सुरीले गीत सुरीरी तान ---= हमारा रक्षक है भगवान
उमंगें मन में फूल खिलाएँ = दिवाली आई दीप जलाएँ

मिटा दें भारत पर जीवन-- = लुटा दें सेवा में तन मन
बना दें मिट्टी को कुन्दन-- = हमारे पाँव छुएँ दुश्मन
भजन आज़ादी के हम गाएँ = दिवाली आई दीप जलाएँ
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