नज़्म : 'तख़लीक़'

Webdunia
जमील क़ुरेशी बांदवी

जिसके हाथों ने बनाया है तुझे

चाँद से उसने चमक ली होगी, तेरे पैकर की शबाहत के लिए
और तारों से दमक ली होगी, तेरे चेहरे की मलाहत के लिए

ले के घंगोर घटाएँ उसने, तेरी ज़ुल्फ़ों को नमी दी होगी
लेके फूलों से अदाएँ उसने, तेरे होंटों को हँसी दी होगी

मरमरीं ताक़ में दीपक रख कर, तेरी आँखों को बनाया होगा
सुर्मा-ए-च्श्म की ख़ातिर उसने, फिर कोई तूर जलाया होगा

जिसके हाथों ने बनाया है तुझे, सालहासाल तो सोचा होगा
और फिर उसने बनाकर तुझको, मुद्दतों प्यार से देखा होगा
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चिंता करने का भी तय करें टाइम, एंजाइटी होगी मिनटों में दूर

आपकी रोज की ये 5 हैबिट्स कम कर सकती हैं हार्ट अटैक का रिस्क, जानिए इनके बारे में

कमजोर आंखों के लिए आज से शुरू कर दें इन योगासनों का अभ्यास

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

हवाई जहाज के इंजन में क्यों डाला जाता है जिंदा मुर्गा? जानिए क्या होता है चिकन गन टेस्ट

सभी देखें

नवीनतम

गोलाकार ही क्यों होती हैं Airplane की खिड़कियां? दिलचस्प है इसका साइंस

इन 7 लोगों को नहीं खाना चाहिए अचार, जानिए कारण

हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को

क्या सच में छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?