नज़्म : फ़िराक़ गोरखपुरी

Webdunia
गुरुवार, 24 जुलाई 2008 (16:41 IST)
क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में नमनाक हिं पलकें
क्योंकि याद तेरी आते ही तारे निकल आए

बरसात की इस रात में ए दोस्त तेरी याद
इक तेज़ छुरी है जो उतरती ही चली जाए

कुछ एसी भी गुज़री हैं तेरे हिज्र में रातें
दिल दर्द से ख़ाली हो मगर नींद न आए

शायर हैं फ़िराक़ आप बड़े पाए के लेकिन
रक्खा है अजब नाम के जो रास न आए
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गुप्त नवरात्रि पर अपनों को शेयर करें ये 5 शुभकामना संदेश

कद्दू के बीज ज्यादा खाना पड़ सकता है भारी, जानिए कितनी मात्रा में खाने से होता है फायदा

मानसून में क्यों बढ़ जाता है आई फ्लू का खतरा, जानिए लक्षण और ऐसे करें बचाव

सिर्फ नमक ही नहीं, इन वजहों से भी बढ़ता है ब्लड प्रेशर

बारिश के मौसम पर सबसे खूबसूरत 10 लाइन

सभी देखें

नवीनतम

इन ब्लड ग्रुप वाले लोगों को लगती है बहुत ज्यादा गर्मी, जानिए कारण

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

ब्रेन पावर बढ़ाने वाले 5 बेस्ट वेजिटेरियन फूड सप्लिमेंट्स आज ही करें ट्राई, जानिए फायदे

जगन्नाथ भगवान के नामों से प्रेरित सुंदर और शुभ बेबी बॉय नेम्स

क्या अपने पालतू जानवर के साथ एक बेड पर सोना है सही? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ