नज़्म : जंग

Webdunia
शायर - निदा फ़ाज़ल ी

सरहदों पर फ़तह का ऎलान हो जाने के बाद,
जंग
बे-घर, बे-सहारा,
सर्द ख़ामोशी की आंधी में बिखर के
ज़र्रा-ज़र्रा फैलती है,
तेल,
घी,
आटा
खनकती-----चूड़ियों का रूप भर कर
बस्ती-बस्ती डोलती है,
दिन दहाड़े
हर गली कूंचे में घुस कर
बंद दरवाज़ों की सांकल खोलती है,
मुद्दतों तक
जंग घर-घर बोलती है,
सरहदों पर फ़तह का ऎलान हो जाने के बाद
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम