इश़्क पे ज़ोर नहीं

Webdunia
नुक्ताचीं हैं ग़मे-दिल उसको सुनाये न बने
क्या बने बात, जहाँ बात बनाये न बने

मैं बुलाता तो हूँ उसको, मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने

खेल समझा है, कहीं छोड़ न दे, भूल न जाये
काश यूँ भी हो कि बिन मेरे सताये न बने

ग़ैर फिरता है लिये यूँ तेरे ख़थ को कि अगर
कोई पूछे कि ये क्या है, तो छिपाये न बने

इस नज़ाकत का बुरा हो, वो भले हैं, तो क्या
हाथ आयें, तो उन्हें हाथ लगाये न बने

कह सके ‍कौन कि ये जलवागरी किसकी है
परदा छोड़ा है वो उसने कि उठाये न बने

मौत की राह न देखूँ कि बिन आये न रहे
तुम को चाहूँ कि न आओ, तो बुलाये न बने

इश़्क पे ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

हड्डियों की मजबूती के लिए दूध के साथ मिलाकर खाएं ये काले बीज, फायदे जानकर हो जाएंगे दंग

क्या आप जानते हैं पॉलिश और अनपॉलिश दाल के बीच अंतर? जानें कौन सी दाल है सेहत के लिए बेहतर

इन 5 लोगों को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए तरबूज, जानिए क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स

गर्मियों में इस तरह चुकंदर के इस्तेमाल से गुलाब की तरह खिल उठेगा चेहरा, जानिए लगाने का सही तरीका

क्या इस दवा से उग सकेंगे टूटे दांत, जानिए वैज्ञानिकों के दावे का सच