मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ

Webdunia
इफ्तिख़ार आरिफ़

मेरे ख़ुदा, मुझे इतना तो मोअतबर1 कर दे।
मैं जिस मकान में रहता हूँ, उसको घर कर दे।।

ये रोशनी के तआकुब2 में, भागता हुआ दिन,
जो थक गया है, तो अब उसको मुख़्तसर कर दे।।

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत,
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।

सिताराए-सहरी3 डूबने को आया है,
ज़रा कोई मेरे सूरज को बाख़बर कर दे।।

क़बीलावार4 कमानें कड़कने वाली हैं।
मेरे लहू की गवाही, मुझे निडर कर दे।

मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरे ख़ुदा,
उजाड़ दे मेरी मिट्‍टी को, दर-बदर कर दे।।

मेरी ज़मीन, मेरा आख़िरी हवाला है,
सो मैं रहूँ, न रहूँ, इसको बार वर कर दे।।

1. प्रतिष्ठापित 2. पीछे-पीछे 3. सुबह का तारा 4. अलग-अलग समुदाय अनुसार
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पापा सिर्फ शब्द नहीं, पूरी जिंदगी का सहारा हैं...फादर्स डे पर इमोशनल स्पीच

वॉकिंग या जॉगिंग करते समय ना करें ये 8 गलतियां, बन सकती हैं आपकी हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन

मानसून में हार्ट पेशेंट्स की हेल्थ के लिए ये फूड्स हैं बेहद फायदेमंद, डाइट में तुरंत करें शामिल

फादर्स डे पर पापा को स्पेशल फील कराएं इन खूबसूरत विशेज, कोट्स और व्हाट्सएप मैसेज के साथ

क्या आपको भी ट्रैवल के दौरान होती है एंग्जायटी? अपनाएं ये टॉप टिप्स और दूर करें अपना हॉलिडे स्ट्रेस

सभी देखें

नवीनतम

याददाश्त बढ़ाने के लिए आज से ही छोड़ दें अपनी ये 8 आदतें, दिमाग पर डालती हैं बुरा असर

मन सच्चा, कर्म अच्छा और बाकी सब महादेव की इच्छा... पढ़ें शिव जी पर लेटेस्ट कोट्स

हादसों पर 10 मशहूर शेर

स्किन के लिए जादुई है ग्रीन टी की पत्तियां, जानिए इससे बनने वाले ये 3 खास फेस पैक्स के बारे में

फादर्स डे 2025: पिता कब हो जाते हैं दुखी, जानिए 5 खास कारण