ग़ज़लें : साग़र चिश्ती

Webdunia
बुधवार, 18 जून 2008 (13:04 IST)
1. भूली बिसरी राम कहानी फिर से अब दोहराए कौन
फूल हँसेंगे रोएगी शबनम, ज़ख्म-ए-जिगर दिखलाए कौन

मांझी, मौजें, तूफ़ाँ, धारे, सब की नीयत डांवाडोल
बीच भंवर से मेरी नय्या तुझबिन पार लगाए कौन

दीप, पतंगे, चाँद, चकोरी, तेरे मेरे अफ़साने
फूल और भंवरा एक पहेली बूझे कौन बुझाए कौन

ममता माँ की, प्यार बहन का ख्वाब सा होता जाता है
जिसको सुंकर नींद आजाए ऐसी लोरी गाए कौन

मन में रूप के मेले ठेले सुन्दर सपने आँखों में
अपने घर की छोड़ के मेहफ़िल उनके द्वारे जाए कौन

पहले तो इक़रार किया हाँ पी लेंगे फिर जाने क्यों
हँस के बोले जा भी साग़र बात में तेरी आए कौन
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वर्ल्ड म्यूजिक डे 2025 : संगीत का साथ मेंटल हेल्थ के लिए इन 7 तरीकों से है फायदेमंद

21 जून योग दिवस 2025: सूर्य नमस्कार करने की 12 स्टेप और 12 फायदे

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: 30 की उम्र तक हर महिला को शुरू कर देना चाहिए ये 5 योग अभ्यास

21 जून: अंतरराष्ट्रीय योग एवं संगीत दिवस, जानें इसकी 3 खास बातें

क्यों पुंगनूर गाय पालना पसंद कर रहे हैं लोग? जानिए वैदिक काल की इस अद्भुत गाय की विशेषताएं

सभी देखें

नवीनतम

थायराइड के लिए सबसे असरदार हैं ये 3 योगासन, जानिए कैसे करें

हर यंगस्टर को रोज करना चाहिए ये 5 योगासन

भारत के किस राज्य में कितनी है मुसलमानों की हिस्सेदारी, जानिए सबसे ज्यादा और सबसे कम मुस्लिम आबादी वाले राज्य

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है, जानें कारण और इसका महत्व