बात जो थी गौतम-ओ-मूसा में

Webdunia
विलास पंडित 'मुसाफिर'

फ़ासले इस कदर हैं रिश्तों में
घर ख़रीदा हो जैसे क़िश्तों में

बाज़ियाँ जीतने से क्या हासिल
एक जज़्बा तो है शि‍क़िस्तों में

तुम कहो गीत या ग़ज़ल लेकिन
कोई आता नहीं नशिस्तों में

ये क्या कम है तेरी पनाह में हूँ
तू भले ही रहे बहिश्तों में

बात जो थी गौतम-ओ-मूसा में
आजकल क्यूँ नहीं फ़रिश्तों में
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

महाशिवरात्रि पर शिव को चढ़ाएं भांग की ठंडाई का भोग, जान लें कैसे करें तैयार?

एग्जाम की तैयारी के लिए ये हैं मेजिकल टिप्स, नहीं भूलेंगे बार-बार और बना रहेगा आत्मविश्वास

पीरियड्स की डेट हो जाती है डिले तो इस देसी ड्रिंक से मिलेगी राहत

वर्कआउट के बाद भी बढ़ रहा है वजन? जानिए क्या है वजह

महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को चढ़ाएं ये विशेष भोग, जानें रेसिपी

सभी देखें

नवीनतम

पीरियड के फ्लोर और कलर से समझ आती है फर्टिलिटी की सेहत, जानिए पीरियड हेल्थ से जुड़ी जानकारी

इस डिटॉक्स ड्रिंक को पीने से खिल उठेगा चेहरा, अंदर से महसूस होगी ताज़गी

अर्ली मेनोपॉज से बचने के लिए लाइफस्टाइल में आज ही करें ये बदलाव

कब्ज से हैं परेशान तो दूध में मिला कर पी लें बस यह एक चीज

किस महीने की धूप से मिलता है सबसे ज्यादा Vitamin D