ग़ज़ल : मजरूह सुलतानपुरी

Webdunia
पेशकश : अज़ीज़ अंसार ी

कब तक मलूँ जबीं से उस संग-ए-दर को मैं
ऎ बेकसी संभाल, उठाता हूँ सर को मैं

किस किस को हाय, तेर तग़ाफ़ुल का दूँ जवाब
अक्सर तो रह गया हूँ झुका कर नज़र को मैं

अल्लाह रे वो आलम-ए-रुख्सत के देर तक
तकता रहा हूँ यूँ ही तेरी रेहगुज़र को मैं

ये शौक़-ए-कामयाब, ये तुम, ये फ़िज़ा, ये रात
कह दो तो आज रोक दूँ बढ़कर सहर को मैं
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गुप्त नवरात्रि पर अपनों को शेयर करें ये 5 शुभकामना संदेश

कद्दू के बीज ज्यादा खाना पड़ सकता है भारी, जानिए कितनी मात्रा में खाने से होता है फायदा

मानसून में क्यों बढ़ जाता है आई फ्लू का खतरा, जानिए लक्षण और ऐसे करें बचाव

सिर्फ नमक ही नहीं, इन वजहों से भी बढ़ता है ब्लड प्रेशर

बारिश के मौसम पर सबसे खूबसूरत 10 लाइन

सभी देखें

नवीनतम

इन ब्लड ग्रुप वाले लोगों को लगती है बहुत ज्यादा गर्मी, जानिए कारण

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

ब्रेन पावर बढ़ाने वाले 5 बेस्ट वेजिटेरियन फूड सप्लिमेंट्स आज ही करें ट्राई, जानिए फायदे

जगन्नाथ भगवान के नामों से प्रेरित सुंदर और शुभ बेबी बॉय नेम्स

क्या अपने पालतू जानवर के साथ एक बेड पर सोना है सही? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ