Dharma Sangrah

नई शायरी : शर्म से मर जाऊंगा...

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झूठ का लेकर सहारा जो उबर जाऊंगा
मौत आने से नहीं शर्म से मर जाऊंगा

सख्त1 जां हो गया तूफान से टकराने पर
लोग समझते थे कि तिनकों सा बिखर जाऊंगा

है यकीं2 लौट के आऊंगा मैं फतेह3 बनकर
सर हथेली पे लिए अपना जिधर जाऊंगा

सिर्फ जर्रा4 हूं अगर देखिए मेरी जानिब
सारी ‍दुनिया में मगर रोशनी कर जाऊंगा

कुछ निशानात5 हैं राहों में तो जारी है सफर
ये निशानात न होंगे तो किधर जाऊंगा

जब तलक मुझमें रवानी है6 तो दरिया हूं 'अजीज'
मैं समन्दर में जो उतरूंगा तो मर जाऊंगा

1. मजबूत 2. विश्वास 3. विजयी 4. कण 5. चिह्न 6. बहा व

- अजीज अंसारी
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