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यूँ सहेजें गर्म कपड़े...

Webdunia
- प्रतिभा तिवारी
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शीतकाल में हम कई तरह के गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। एक बार खरीद लेते पर ये कपड़े कई साल हमारे काम आते हैं। यदि इनके प्रति हम अपना रवैया थोड़ा नर्म रखें तो ये कपड़े कई सालों तक नए बने रह सकते हैं। तो आएँ रखें इनका ख्याल कुछ इस तरह...।

लेदर जैकेटः आजकल अधिकतर लोग लेदर की जैकेट पहनना अधिक पसंद कर रहे हैं। इस जैकेट को धोने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें मुलायम ब्रश से रगड़ देने से ये साफ हो जाती हैं। इसके अलावा अच्छी कंपनी की किसी भी जैकेट को घर में न साफ कर ड्राइक्लीनिंग ही करवाएँ।

यदि कभी घर में सफाई की आवश्यकता पड़े तो पेट्रोल से भीगा ब्रश नीचे से बल देते हुए चलाएँ। जैकेट साफ हो जाएगी। बाहर से आकर जैकेट उतार कर यूँ ही न डालें, कुछ देर धूप, हवा में टाँग दें जिससे उसका पसीना सूख जाए। फिर उसे हैंगर में लगाकर रखें।
  शीतकाल में हम कई तरह के गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। एक बार खरीद लेते पर ये कपड़े कई साल हमारे काम आते हैं। यदि इनके प्रति हम अपना रवैया थोड़ा नर्म रखें तो ये कपड़े कई सालों तक नए बने रह सकते हैं। तो आएँ रखें इनका ख्याल कुछ इस तरह...।      


इनर वेयर : ठंड से बचाव के लिए आज 'थर्मल वेयर' या 'इनर' (अंदर पहनने वाला रेशेयुक्त परिधान) का प्रयोग भी काफी होता है। ये ठंड से पूरी तरह से बचाव करने में सक्षम होते हैं। एक बार अच्छी कंपनी का इनर ले लेने पर दो-तीन साल तक ये काम में आ सकते हैं। लेकिन इनकी धुलाई पर ध्यान देना होता है।

इन्हें कभी भी रगड़ कर या ब्रश से घिसकर न धोएँ। जहाँ तक हो सके मशीन में भी न धोएँ। यदि मशीन में धोना चाहती हैं तो एकदम स्लो मशीन चला कर धोएँ, क्योंकि तेज रगड़ से इनके रेशे दबकर गर्माहट कम करते हैं। हल्के हाथों से साबुन मलकर और हल्के हाथों से निचोड़कर इन्हें सुखाएँ।

स्टाइलिश शॉल : शॉल ठंड से बचाव के साथ-साथ आपको स्ट ा इलिश लुक भी देती है। बहुमूल्य कश्मीरी पश्मीना आदि शॉलों का सदैव ड्राइकलीन ही करवाएँ। यदि किसी अन्य शॉल को धोना चाहती हैं तो उसे रीठे के फैन से धोएँ। अच्छी तरह खंगालकर आखिरी पानी में नींबू का रस व जरा-सी ग्लिसरीन मिला देने से इनकी स्वाभाविक चमक व ताजगी बनी रहती है।

कोट व जर्किन : कोट व जर्किन एक बार बन जाने पर कई सालों तक चलते हैं। अतः इनके रख-रखाव पर ध्यान देना आवश्यक है। जब भी बाहर से आएँ, कुछ देर इन्हें हवा में अवश्य रखें। इन्हें पतले हैगर में न लटकाएँ क्योंकि इनके मुठ्ठे लटक जाते हैं जिससे पहनने पर ये ठीक नहीं लगते। कोट व जर्किन को टाँगने के लिए सदैव चौड़े हैंगर का इस्तेमाल करें।

पुलोवर कार्डिगन: इन्हें भी गर्म पानी में या मशीन में न धोएँ। हल्के हाथों से उलट-पलट कर धोएँ। हमेशा सॉफ्ट तरल साबुन का इस्तेमाल करें। जल की तेज धार के नीचे न रखें। न ही देर तक पानी में पड़ा रहने दें। इन कपड़ों को कड़ी धूप में न सुखाएँ नही कसकर निचोड़े।

मफलर, स्कार्फ व टोपा : इन्हें बार-बार धोना आवश्यक नहीं है। बाहर से आकर धूप-हवा लगाकर रखें। इन्हें हल्के तरल लिक्विट से धोया जा सकता है। ब्रश न चलाएँ न ही इन्हें मसल कर धोएँ।

मोजे व दस्तानें : शीत से बचाव के लिए जहाँ तक हो सूती मौजे पहनें। इन्हें धोने से पहले इनके मुँह पर धागे की गाँठ बाँध दें सूख जाने पर गाँठ खोल दें, इससे ये फैलते नहीं हैं और पहनने पर फिट लगते हैं। टू व्हीलर चलाने के लिए जिन दस्तानों का उपयोग करें उन्हें घर आकर धूप-हवा लगाकर निश्चय स्थान पर रखें, जिससे समय पर वह मिल जाएँ।

रजाई : सामान्यतया घरों में वेलवेट, कॉटन, सिल्क, कोसा रजाई ही होती है। इन्हें इस्तेमाल करने से पहले धूप दिखा देनी चाहिए, जिससे इनके धूल के कण साफ हो जाते हैं। रजाइयों को दस-पंद्रह दिनों पर सूटब्रश से साफ करते रहें, इससे इनकी शायनिंग लंबे समय तक बनी रहती है।

रजाइयाँ धोई नहीं जातीं, अतः गंदी हो जाने पर ड्रायक्लिन ही करवाएँ। रजाई गंदी न हो इसके लिए इन पर सुंदर सा कवर लगाना उचित रहता है। रजाई को रखने से पहले ड्रायक्लिन करा कर नेपथलीन की गोलियाँ डाल कर रखें। ध्यान रहे रेशमी व सिल्क की रजाई को मोड़ कर या अधिक दबाकर न रखें।

कंबल : यूँ तो कंबल घर में धोए जा सकते हैं लेकिन इन पर ब्रश न चलाएँ। जहाँ तक हो इनकी सूखी धुलाई ही करवाएँ। इससे इनकी कार्यक्षमता अधिक समय तक बनी रहती है। इस्तेमाल करने से पहले धूप-हवा दिखा दें। जिससे इनकी नमी दूर हो जाए और ये कीटाणुरहित हो जाएँ। इन्हें दबा कर न रखें और न इन पर वजनदार सामान रखें। ठंड के बाद इन्हें ड्राइवॉश करवा कर रखें।

नोट : ऊनी किसी भी कपड़े पर प्रेस करते समय पतला गीला कपड़ा ऊपर से डालकर प्रेस करें।
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