लाभदायक मूलबंध योग

Webdunia
FILE
योग में मूलत: पांच प्रकार के बंध है- 1.मूलबंध, 2.उड्डीयान बंध, 3.जालंधर बंध, 4.बंधत्रय और 5.महाबंध। यहां प्रस्तुत है मूलबंध के बारे में जानकारी। गुदाद्वार को सर्वथा बंद कर देने को मूलबंध कहा जाता है।

लाभ और प्रभाव- योग में मूलबंध के बहुत से फायदे बताए गए हैं। इस मुद्रा को करने से शरीर के अंदर जमा कब्ज का रोग समाप्त हो जाता है और भूख भी तेज हो जाती है। शरीर का भारीपन समाप्त होता है और सुस्ती मिटती है।

यौन रोग में लाभदायक : इस बंध के नियमित अभ्यास से यौन ग्रंथियां पुष्ट होकर यौन रोग में लाभ मिलता है। पुरुषों के धातुरोग और स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बंधी रोगों में ये मुद्रा बहुत ही लाभकारी मानी जाती है।

इसे करने की विधि- बाएं पांव की एड़ी से गुदाद्वार को दबाकर, फिर दाएं पांव को बाएं पांव की जांघ पर रखकर सिद्धासन में बैठें। इसके बाद गुदा को संकुचित करते हुए नीचे की वायु को ऊपर की ओर खींचने का अभ्यास करें। सिद्धासन में एड़ी के द्वारा ही यह काम लिया जाता है।

सिद्धासन में बैठे तब दोनों घुटने जमीन को छूते हुए होने चाहिए तथा हथेलियां उन घुटनों पर टिकी होनी चाहिए। फिर गहरी श्वास लेकर वायु को अंदर ही रोक लें। इसके बाद गुदाद्वार को पूरी तरह से सिकोड़ लें। अब श्वास को रोककर रखने के साथ आरामदायक समयावधि तक बंध को बनाए रखें। इस अवस्था में जालंधर बंध भी लगाकर रखें फिर मूलाधार का संकुचन छोड़कर जालंधर बंध को धीरे से खोल दें और धीरे से श्वास को बाहर छोड़ दें। इस अभ्यास को 4 से 5 बार करें।

गुदासंकुचन क्रिया : गुदा को सुं‍कुचित करना और फिर छोड़ देना। इस तरह 15-20 बार करने से गुदा संबंधी समस्त रोग समाप्त हो जाते हैं। इस क्रिया को करने से बवासीर रोग भी समाप्त हो जाता है। मूलबंध के साथ इसका नियमित अभ्यास से उम्र भी बढ़ती है।

निर्देश- इस मूलबंध का अभ्यास किसी जानकार योगाचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए।

क्या होता है DNA टेस्ट, जिससे अहमदाबाद हादसे में होगी झुलसे शवों की पहचान, क्या आग लगने के बाद भी बचता है DNA?

क्या होता है फ्लाइट का DFDR? क्या इस बॉक्स में छुपा होता है हवाई हादसों का रहस्य

खाली पेट ये 6 फूड्स खाने से नेचुरली स्टेबल होगा आपका ब्लड शुगर लेवल

कैंसर से बचाते हैं ये 5 सबसे सस्ते फूड, रोज की डाइट में करें शामिल

विवाह करने के पहले कर लें ये 10 काम तो सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

हनुमंत सदा सहायते... पढ़िए भक्तिभाव से भरे हनुमान जी पर शक्तिशाली कोट्स

21 जून योग दिवस 2025: अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के 10 फायदे

मातृ दिवस और पितृ दिवस: कैलेंडर पर टंगे शब्द

हिन्दी कविता : पिता, एक अनकहा संवाद