एक मछुआरे का बेटा तो दूसरे की मां दवाखाने में करती है काम, जानिए पदक लाने वाले इन 2 खिलाड़ियों का संघर्ष

Webdunia
मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023 (17:29 IST)
मछुआरे के बेटे सलाम सुनील सिंह और कारखाने में काम करने वाले के बेटे अर्जुन सिंह एक दूसरे से लगभग 2000 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं लेकिन जलक्रीडा (Water Sports) के जुनून ने विषम परिस्थितियों में दोनों को आगे बढ़ने और एक साथ मिलकर देश के लिए पदक जीतने के लिए प्रेरित किया।चौबीस साल के सुनील मणिपुर के मोइरंग के हैं जबकि 16 साल के अर्जुन रुड़की में रहते हैं।

अर्जुन और सुनील ने एशियाई खेलों में मंगलवार को पुरुषों की केनोए 1000 मीटर युगल स्पर्धा में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता।  भारतीय जोड़ी ने 3 : 53 . 329 सेकंड का समय निकालकर तीसरा स्थान हासिल किया ।

एशियाई खेलों के इतिहास में केनोए में भारत का यह दूसरा ही पदक है। भारत के सिजि सदानंदन और जॉनी रोमेल ने इससे पहले 1994 में हिरोशिमा खेलों में इसी स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।सुनील और अर्जुन के लिए यह पदक उनके जीवन में कठिन परिस्थितियों के बावजूद की गई कड़ी मेहनत का परिणाम है।

सुनील ने हांगझोउ में कांस्य पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘ मेरे पिता (इबोयिमा सिंह) एक मछुआरे हैं। वह हर सुबह और शाम अपनी नाव चलाते हैं और लोकतक झील में मछलियां पकड़ते हैं। यही हमारे परिवार की आय का स्रोत है। मेरी मां (बिनीता देवी) एक गृहिणी हैं।’’

सुनील का जन्म लोकतक झील के पास हुआ है ऐसे में जलक्रीडा के प्रति उनका जुनून स्वाभाविक है। लोकतक पूर्वोत्तर भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है।सुनील ने केनोए का अपना पहला सबक इसी झील में सीखा था। वह इसके बाद अपनी चाची की सलाह पर 2013 में हैदराबाद चले गए। सुनील की चाची डिंगी कोच है।

सुनील को 2015 में राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना गया और वह अगले वर्ष राष्ट्रीय चैंपियन बने। उन्होंने इसके बाद रुड़की में सेना के केन्द्र में अभ्यास किया और फिर भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के भोपाल केंद्र में कोच पीयूष बोराई की देखरेख में अपने कौशल को निखारा।अर्जुन भी पहले रुड़की में ही थे। वह बोराई की सलाह पर भोपाल में प्रशिक्षण लेने लगे।

अर्जुन और सुनील की जोड़ी हाल ही में बनी है। दोनों ने अगस्त में जर्मनी में केनोए स्प्रिंट विश्व चैम्पियनशिप में पहली बार जोड़ी के तौर पर भाग लिया था। भारतीय जोड़ी फाइनल में पहुंचने के बाद नौवें स्थान पर रही थी।अर्जुन का परिवार उत्तर प्रदेश के बागपत से है लेकिन बाद में रुड़की में बस गया।

अर्जुन ने कहा, ‘‘ मैं बचपन से ही जलक्रीड़ा के प्रति जुनूनी हूं। मेरे चाचा ने इस खेल में आगे बढ़ने के लिए मेरा प्रोत्साहन किया। मैं जल क्रीड़ा के प्रति इतना जुनूनी हूं कि सपने में भी इसे ही देखता हूं। बीती रात को भी मैंने पदक जीतने का सपना देखा था।’’अर्जुन का अगला लक्ष्य पेरिस ओलंपिक है।उन्होंने कहा, ‘‘ पेरिस ओलंपिक मेरा लक्ष्य है और हम वहां पहुंचने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।’’ (भाषा)<>

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

चैंपियन्स टीम इंडिया ने बिना एक टॉस जीते चैंपियन्स ट्रॉफी के सारे मैच जीते

Champions Trophy की सबसे सफल टीम बनी भारत, तीसरी बार झोली में किया खिताब

'मैं कहीं नहीं जा रहा', रोहित शर्मा ने ODI से संन्यास की अटकलों को किया खारिज (Video)

Champions Trophy: न्यूजीलैंड से 25 साल पुराना बदला किया चुकता और उस ही अंदाज में

मोटेरा के जख्मों पर दुबई में मरहम लगाकर राहुल ने बदली अपनी और टीम की तकदीर

अगला लेख