स्त्री के कारक ग्रह चंद्र व शुक्र हैं। नववर्ष में शुक्र की स्थिति वक्री होकर शनि की राशि मकर में द्वितीय भाव में है व स्त्री का कारक चंद्र भी धनु का है। यह संयोग बताते हैं कि महिला विधेयक हर बार की तरह इस बार भी पास नहीं हो पाएगा। महिलाओं के प्रति सम्मानजनक स्थिति का रहना भी संशयपूर्ण है। शनि की चंद्र पर दृष्टि व अमावस्या योग का बनना महिलाओं के लिए ठीक नहीं है। द्वितीय भाव वाणी का है अतः महिलाओं के प्रति बोलचाल की भाषा भी आपत्तिजनक रहेगी।
नए-नए सेक्स कांड भी सामने आते रहेंगे। शुक्र शनि की राशि में हो तो अनैतिकता बढ़ती है।
नवांश कुंडली में भी शुक्र वक्री होकर मकर राशि में ही है जो वर्गोत्म तो है लेकिन राहु से पीड़ित भी है। शुक्र पर किसी की शुभ दृष्टि भी नहीं है जो संतुलन बनाकर चले।
गुरु ज्ञान व विवेक देने वाला ग्रह है लेकिन वक्री है। इस प्रकार कानून बन जाने पर भी महिलाओं के प्रति सम्मान की स्थिति संतोषजनक नहीं रहेगी।