धनु लग्न में चतुर्थ भाव

धनु लग्न में चतुर्थ भाव का शुक्र टेक्सटाइल का मालिक बनाता है

Webdunia
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'

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धनु लग्न में आय का भाव एकादश होकर उसका स्वामी शुक्र होगा। शुक्र दो भावों का स्वामी है अतः इस लग्न में दूसरी राशि वृषभ षष्ठ भाव शत्रु, रोग, मामा भाव का भावाधिपति होगा। शुक्र कला, कलात्मक वस्तु, सौंदर्य प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की बिक्री से, चिकित्सा से, प्रापर्टी ब्रोकरेज से, गायन, संगीत से भी धन का लाभ दिलाता है।

शुक्र का लेखन पर भी अधिकार है अतः ऐसा जातक कहानी, गीत या अन्य लेखन कार्य से भी धन पाता है। शुक्र सेक्स का कारक भी है अतः सेक्स स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनकर भी लाभ दिलाता है। शुक्र यात्राओं से भी लाभ दिलाता है। आभूषणों का कारक भी है अतः आभूषण विक्रेता, ज्वेलरी आदि के कार्यों से भी धनलाभ दिलाता है।

जब आय भाव का स्वामी शुक्र पंचम भाव के स्वामी मंगल के साथ होकर द्वादश भाव में हो तो भोग-विलास की सामग्री से लाभ दिलाता है। बाहरी संबंधों या विदेशों से धनलाभ पाता है, परंतु ऐसा व्यक्ति अत्यंत भोगी किस्म का होता है। शुक्र यदि लग्न में हो तो वह जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व का धनी तो होगा ही साथ ही उसे कपड़ों के व्यवसाय में धनलाभ दिलाएगा।

यदि गुरु की दृष्टि हो तो उसे टेक्सटाइल का मालिक भी बना सकता है। शुक्र-शनि की स्थिति द्वितीय भाव में हो तो उस जातक को अपने कुटुंब का धंधा मिलता है। ऐसा जातक तेल का व्यापारी भी हो सकता है व अपनी वाक चातुर्यता द्वारा या गायन के क्षेत्र में भी उत्तम धनलाभ पाने वाला हो सकता है। तृतीय भाव में शुक्र की स्थिति उसकी आवाज को मधुर बनाती है। यदि शनि उच्च का हो तो ऐसा जातक निश्चित ही गायन में प्रसिद्ध होकर धनी बनता है, उसे वाहनादि से भी धनलाभ मिलता है। ऐसा जातक इंजीनियर बन धनलाभ पाता है।

चतुर्थ भाव में शुक्र उच्च का होगा, तो जनता, भूमि, भवन, वाहन, माता, जनता से संबंधित भाव में लाभेश षष्ठेश होगा अतः ऐसा जातक कला से, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से, सौंदर्य प्रसाधन, माता से लाभ पाता है एवं उच्च वाहन का भी सुख मिलता है। ऐसा जातक पिता से कम लाभ पाता है व पिता के कार्य से हटकर लाभान्वित होता है। ऐसा जातक फोटोग्राफर भी हो सकता है। शुक्र पंचम भाव में अग्नि तत्व की मेष राशि पर होगा। चूँकि यहाँ से आय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा, अतः ऐसा जातक धन का लाभ विद्या से, चिकित्सा के क्षेत्र से, लेखन से भी पाता है। ऐसे जातक के यहाँ लड़के अधिक होते हैं।

षष्ठ भाव में स्वराशि का शुक्र अपने मामा से धनलाभ दिलाता है, पशु की दलाली से भी लाभ दिलाता है। ऐसा जातक अधिक सेक्सी भी होता है। शुक्र सप्तम भाव में मिथुन राशि में होगा अतः ऐसे जातक की दो या तीन स्त्रियाँ भी हो सकती हैं या दो-तीन स्त्रियों से संबंध होगा। ऐसा जातक धन स्त्रियों से पाता है। यदि बुध-शुक्र साथ हों तो ऐसा व्यक्ति साड़ियों के व्यापार से या सौंदर्य प्रसाधनों से भी धनलाभ पाता है। दशम भाव में बुध के साथ शुक्र हो तो नीच भंग शुक्र का होने से ऐसा जातक धनी होगा।

कपड़ों से आभूषणों से ज्वेलरी से या घड़ियों के व्यापार या इलेक्ट्रॉनिक्स के व्यापार से धनलाभ पाता है। आय भाव का स्वामी शुक्र यदि आय भाव में हो, तब भी वह जातक धन के मामलों में सुखी होता है। नवम भाव में शुक्र दांपत्य जीवन में बाधा का कारण बनता है एवं धन में कमी महसूस होती है। कर्क का शुक्र अष्टम भाव में होने से धन तो मिलता है लेकिन उसका धन स्त्रियों पर खर्च होता है।

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