परीक्षा के दिनों में बढ़ती हैं प्रार्थनाएं

परीक्षा में अच्छे नंबरों के लिए मनाएं अपने ग्रह को...

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माना जाता है कि प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है, इससे व्यक्ति अपने उन कार्यों को भी सिद्ध कर लेता है, जो उनको असंभव दिखाई देते हैं। कुछ यही मानना है आज के युवाओं का।

जो पढ़ाई-लिखाई में कई व्यस्तताओं के बावजूद भी रोज शाम को मंदिरों में दीया-बत्ती करने के लिए जाते हैं।

ज्योतिष के अनुसार किसी न किसी राशि पर ग्रहों का प्रभाव चलता ही रहता है, जिसमें शनि को अनिष्टकारी ग्रह माना गया है। इस ग्रह से प्रभावित राशि वाले लोगों का परेशानियों से चोली-दामन का साथ रहता है।

अन्य ग्रह भी कभी-कभी अपना प्रभाव राशियों पर दिखाते हैं, लेकिन ग्रहों की शांति व उनमें अनुकूलता बनाए रखने के लिए प्रभावित लोगों को मंदिर या पीपल के वृक्ष के नीचे घी या तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए।

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कोई इसे हिंदू समाज की परंपरा बताता है, तो कोई प्रतिकूल ग्रहों की शांति के लिए आवश्यक उपाय। मंदिरों में अक्सर सूर्यास्त के बाद गोरज मुहूर्त में पीपल के वृक्ष व भगवान की मूर्ती के आगे युवक-युवतियों को प्रार्थना करते, दीप जलाते हुए देखा जा सकता हैं।

खासकर युवा जब परीक्षा का समय आता है तो उन्हें याद आते है भगवान। वे भगवान से मन्नते मांगते हैं कि हमें परीक्षा में पास करा दो, तो 5 सोमवार आपके दर पर दीपक जलाएंगे।

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वह मानते हैं कि अपने ग्रहों की शांति के लिए पीपल, केले एवं बरगद के वृक्ष तले दीप जलाने से जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

अपने जीवन को शांत व सुखमय करने के लिए ईश्वर पर श्रद्धा रखकर यह दीप जलाया जाता है। इससे परीक्षा के दिनों में एक हौंसला बना रहता है।

दीपक जलाने की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।


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चूंकि हमारे समाज में स्त्री द्वारा पीपल के पेड़ पर या भगवान के मंदिर में दीपक जलाना शुभ माना जाता है, इसलिए पढ़ाई-लिखाई में चाहे जितनी भी व्यस्तता क्यों न हो, युवा मंदिर में दीपक जलाना नहीं भूलते।

वे मानते हैं कि जीवन में सफलता के लिए भगवान का साथ होना जरूरी है। उस परमात्मा का साथ पाने के लिए व उसे मनाने के लिए दीप जलाना एक माध्यम होता है। हम दीप जलाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अर्जी लगाकर ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं।

ग्रहों से होने वाले अनिष्ट के निवारण के लिए घी या तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

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