रौद्र काल योग से विनाशकारी घटनाएँ

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महाभारत युद्ध और हिरोशिमा, नागासाकी पर परमाणु बम गिरवाने वाला रौद्र काल योग एक बार फिर बना है। पखवाड़े की दो तिथियों का क्षय होने से बने इस योग के कारण संस्कार प्रधान कार्य तो वर्जित हैं ही, विनाशकारी घटनाएँ भी घटित हो सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार, पक्ष के नष्ट होने से पृथ्वी में बहुत कुछ नष्ट होता है।

देशसहित पूरा विश्व एक बार फिर संकट में है। दरअसल, 14 मई से शुरू हुए वैशाख शुक्ल पक्ष में दो तिथियों का क्षय होने से रौद्र नामक काल योग बन रहा है जो विनाश का द्योतक है। जिस पक्ष में दो तिथियों का क्षय होता है उसे विश्वघर्स पक्ष भी कहा जाता है।
इस काल की पुनरावृत्ति कई सालों में होती है लेकिन जब भी हुई है धरती में कुछ न कुछ विनाशकारी घटनाएँ घटित हुई हैं।

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पक्ष का क्षय होने से लोगों के मन में भय, असुरक्षा और आतंक का भाव भी पैदा होता है। ऐसा पक्ष कार्य विनाशक तो होता ही है साथ ही निरीह प्राणियों के लिए भी घातक होता है। अब पूरे साल लोगों के मन में असुरक्षा की भावना रहेगी, आदमी एक-दूसरे पर विश्वास करना छोड़ देगा।

ज्योतिषाचार्य पं. कामता प्रसाद तिवारी के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में द्वितीया और चतुर्दशी का क्षय होने से उसमें माँगलिक और शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ऐसा योग कई साल बाद बनता है जो प्राणियों और जीव-जन्तुओं के लिए शुभ नहीं है। देश में मौसम इन दिनों अपने सभी रंग दिखा रहा है।

मध्यप्रदेश समेत मध्य भारत का बहुत बड़ा इलाका इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है वहीं दक्षिण भारत में चक्रवाती तूफान 'लैला' ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर उत्तर भारत में हिमपात से मौतें हो रही हैं और मौसम भी ठंडा हो गया है।

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