शनि अमावस्या : राशियों पर प्रभाव

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- भारती पंडि त

शनिवार, 12 जून को शनिचरी अमावस्या है जिसका आध्यात्म की दृष्टि से तो बड़ा महत्व है। साथ ही शनिदेव के जन्मदिन के रूप में यह अमावस्या ज्योतिष के लिए भी बड़ी महत्वपूर्ण है। इस बार इस दिन अन्य ग्रहों के भी कुछ खास योग बन रहे हैं जो सभी राशियों के लिए थोड़ी राहत लेकर आ रहे हैं। ग्रह गोचर को देखा जाए तो शनि कन्या राशि में अभी 3 मई को ही मार्गी हुए हैं। शुक्र कर्क में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। बुध वृषभ में प्रवेश कर चुके हैं। बाकी स्थिति के अनुसार गुरु मीन में, राहू व केतु क्रमशः धनु और मिथुन में और मंगल सिंह में है। शनि मार्गी होकर अपनी क्रूरता को खो रहे हैं और गुरु के सप्तम प्रभाव में भी हैं। कुल मिलाकर समय पक्ष का है। आइए जानते हैं, इस परिवर्तन का राशियों पर क्या प्रभाव होगा :

मेष : अच्छा समय, चिंता का निवारण होगा, पद-प्रतिष्ठा और घर-वाहन सुख के लिए अच्छा है।

वृषभ : शुक्र के कारण कला के कार्य में सफलता व प्रतिष्ठा मिलेगी। संतान की चिंता का निवारण होगा। खान-पान का ध्यान रखें।

मिथुन : समय बहुत पक्ष का नहीं है। आलस, निराशा और कटु वाणी से बचें। माँ के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

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कर्क : समय पक्ष का है। तनाव कम होगा। अटके काम बनेंगे। गुरु का आशीर्वाद और स्त्री पक्ष से लाभ होगा।

सिंह : स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। जिन्हें शुगर या कफ की शिकायत हैं वे परहेज करें। बाकी समय ठीक है।

कन्या : मन का असमंजस दूर होगा। काम में मन लगेगा। कला या लेखन से आय होगी।

तुला : भावावेश में निर्णय न लें। अधिक जोश व रिस्क लेने का समय नहीं है। शान्ति और संयम से कार्य करते रहें।

वृश्चिक : शुक्र और शनि कलाकारों को निश्चित ही लाभ देने वाले हैं। मेहनत जारी रखें। निर्णय शान्ति से लें। गुरु की सेवा करें।

धनु : कफ व साँस के रोगी सावधानी रखें। शेष के लिए अच्छा समय है। चिंता दूर होगी, अटके काम बनते जाएँगे।

मकर : नए परिचय लाभ देंगे। पुरानी मेहनत या निवेश का फायदा मिलेगा। जल्दबाजी न करें। माता-पिता का अनादर न करें।

कुंभ : थोड़ा सावधान रहना होगा। शत्रु सक्रिय होंगे। स्वास्थ्य का पाया भी कमजोर रह सकता है। परहेज करें व कागज-पत्रों के व्यवहार में चुस्त रहें।

मीन : मन में असमंजस और तनाव रह सकता है। अपने निर्णयों पर शंका रहेगी। अतः गुरु या बड़ों की सलाह अवश्य लें। कार्य सिद्धि हेतु अधिक प्रयास करना होगा।

विशेष : प्रतिकूल समय में अपने इष्ट का ध्यान पूजन करना, गरीबों की सहायता करना और किसी की आलोचना से बचना चाहिए। भोजन और वस्त्र का दान भी करें।

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