शुक्र की राशि में गुरु का आगमन

कैसा होगा शुक्र की राशि में गुरु का आगमन

Webdunia
- पं. अशोक पंवार मयंक
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देवताओं के गुरु बृहस्पति का दानवों के देवता शुक्र की राशि वृषभ में 17 मई को सुबह 9 बजे के लगभग प्रवेश कर लिया है।

गुरु शुक्र से सम भाव रखता है जबकि शुक्र का गुरु से बैर है। यह संयोग काला बाजारी, भ्रष्टाचारी, लूट-खसोट करने वाले लोगों के लिए अमंगलकारी होगा। कलाकार व कला से जुड़े लोगों के लिए यह संयोग लाभकारी रहेगा। कला का कारक शुक्र है व सूझबूझ का कारक गुरु है। इसी वजह से कला का विस्तार होगा। आभूषणों, मिष्ठान्नों के भावों पर भी अंकुश लगता नजर आएगा। धन से संबंधित कई मामले उजागर भी होंगे। काला धन भले ही वापस आने में देरी लगे लेकिन जाने में लगाम लगती नजर आएगी।

गुरु धन भाव के स्वामी सूर्य के साथ सूर्य के नक्षत्र कृतिका में होने से धन के मार्ग में बाधाओं के बाद राहत भरा रहेगा।

द्वादशेश व तृतीयेश बुध दशम भाव में व दशम भाव के साथ पंचम भाव का भावाधिपति मंगल द्वितीय भाव में मित्र का होने से राजनीतिज्ञों के लिए कुछ खट्ठे, कुछ मीठे अनुभव भी कराएगा।

शनि का वक्र होकर मंगल से संयोग करना भी राजनीतिज्ञों के लिए कुछ लाभकारी न होकर अशुभ ही रहेगा। पंचम भाव के राहु पर गुरु की दृष्टि (राहु पर 15 जनवरी 2013 तक) शुभ न होने से विद्यार्थियों के लिए कष्टकारी रहेगा। गुरु का मिलन सूर्य, केतु, शुक्र के साथ है, जो भारत में जन-धन संकट का भी कारक बनता है। इस समय गुरु मीन राशि का होने से गुरु प्रधान राशि धनु व मीन के जातकों को संकट का सामना भी करना पड़ सकता है।

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राशिनुसार फल : -

मेष लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु भाग्य के साथ-साथ व्यय भाव का स्वामी होकर द्वितीय भाव में होने से धन के मामलों में सावधानी रखना होगी। वैसे भाग्य साथ देता भी नजर आएगा। बाहरी यात्रा भी संभव है, लेकिन सावधानीपूर्वक रहे तो उत्तम रहेगा।

वृषभ लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु अष्टमेश व एकादशेश होकर लग्न से भ्रमण करने से आय-व्यय बराबर रहेगा, पारिवारिक मामलों में खर्च होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा, लेन-देन के मामलों में सावधानी बरतें।

मिथुन लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु सप्तमेश व दशमेश होकर व्यय द्वादश भाव से गोचर भ्रमण करेगा। राजनेता सावधानी रखें, जीवनसाथी के मामलों में संभल कर चलना होगा। बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में भी सतर्कता रखना होगी, विशेषकर धन से संबंधित।

कर्क लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु भाग्येश, षष्टेश होकर एकादश भाव से भ्रमण करेगा। आय के मामलों में थोडी़ राहत अवश्य देगा धर्म-कर्म के बजाए अन्य मामलों में खर्च होगा। घर परिवार में या स्वयं की बीमारी पर भी खर्च हो सकता है।

सिंह लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु पंचम व अष्टम भाव का स्वामी होकर दशम भाव से भ्रमण करेगा। जो संतान के मामलों में खर्च कराएगा, मनोरंजन के मामलों में भी खर्च संभव है। स्वास्थ्य की मिली-जुली स्थिति रहेगी। नौकरीपेशा सावधानी रखें। किसी विशेष कार्य में पिता का सहयोग लेकर चलें।

कन्या लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु चतुर्थेश व सप्तमेश होकर नवम भाव से भ्रमण करने से जीवनसाथी को लाभ देगा। भाग्य बल से सुख में वृद्धि। मकान या भूमि पर खर्च।

तुला लग्न व राशि वालों के लिए- तृतीयेश व षष्टेश होकर अष्टम से भ्रमण करने से परेशानियों का कारण बन सकता है। इस दौरान खर्च भी अधिक ही रहेंगे। साझेदारी के मामलों में सभंलकर चलना होगा। फोन पर वार्तालाप में सावधानी रखें।

वृश्चिक लग्न व राशि वालों के लिए- द्वितीयेश व पंचमेश होकर सप्तम भाव से भ्रमण करने से प्रेम प्रसंग बढ़ सकते हैं, लेकिन सावधानी रखना होगी। सौन्दर्य प्रसाधनों पर खर्च होगा। आर्थिक मामलों में बचत कम होगी। विद्यार्थी वर्ग को संभल कर चलना होगा।

धनु लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु लग्नेश व चतुर्थेश होकर षष्ट भाव से भ्रमण करने से कोर्ट-कचहरी के मामलों में खर्च, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा। पारिवारिक मामलों में सावधानी बरतें, स्थानीय राजनीति से जुड़े व्यक्ति संभल कर चलें।

मकर लग्न व राशि वालों के लिए- व्ययेश व तृतीयेश होकर पंचम भाव से भ्रमण करने से संतान के मामलों में खर्च, विवाह आदि के योग भी बन सकते हैं। पराक्रम अधिक करने पर सफलता भी मिलेगी। भाईयों, मित्रों का सहयोग ना के बराबर रहेगा।

कुंभ लग्न व राशि वालों के लिए- गुरु एकादशेश व धनेश होकर चतुर्थ भाव से भ्रमण होने से पारिवारिक मामलों में खर्च। घर या परिवार में शुभ कार्य भी होंगे। आर्थिक मामलों में मिलीजुली स्थिति रहेगी।

मीन लग्न व राशि वालों के लिए- लग्नेश व दशमेश होकर तृतीय भाव से भ्रमण करने से पराक्रम के बल पर व्यापार व नौकरी आदि के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। भाग्य भी साथ देगा। धर्म-कर्म में खर्च होगा। स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। प्रभाव में वृद्धि कर पाएंगे।

* जिन्हें गुरु का प्रभाव शुभ करना हो वे पांच केले मंदिर में प्रति गुरुवार चढ़ाएं व दान भी करें। पीला रूमाल अपने पास सदैव रखें। धन के मामलों में सावधानी रखें व भ्रष्ट आचरण से बचें।

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