श्रावण शनि अमावस्या : बन रहे हैं विशेष योग

हरियाली अमावस्या : पिता, पुत्र और गुरु का मिलन

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- दाती मदन महाराज राजस्थानी
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पिता, पुत्र और गुरु का मिलन, सूर्य-शनि और शिव का मिलन, सूर्य शनि के पिता हैं और शिव शनि के गुरु हैं। 30 जुलाई सन्‌ 2011 प्रातःकाल 2:07 मिनट पर वृषभ लग्न में शनि अमावस्या का आरंभ हो रहा है। सूर्य और शनि का त्रिएकादश संबंध अनुकूलता का संकेत दे रहा है।

सूर्य शासन का प्रतीक है और शनि कर्म का प्रतीक है। जनता को राहत देने के लिए सूर्य और शनि के मिलन से शासन मजबूर होगा। जनता की रोजगार संबंधी समस्याओं का निवारण होगा। अनावश्यक कष्टों से छुटकारा मिलेगा। महंगाई से राहत मिलेगी।

जनता पर शासन मेहरबान होगा, क्योंकि न्याय के अधिपति शनिदेव भारत के वृषभ लग्न में भाग्येश और कर्मेश होकर शासन के प्रतीक सूर्य से त्रिएकादश संबंध बना रहे हैं। साथ ही न्यायपालिका के निर्णय जनता के पक्ष में आएंगे।

शनि आपका कल्याण करेंगे, क्योंकि शनि इस समय उदयाभिलाषी हैं। भारत का वृषभ लग्न हैं और शनि इस समय कन्या राशि में पंचम भाव से गोचर कर रहा है। यह समय कारोबार, तकनीकी क्षेत्र, विदेश नीति के क्षेत्र, आयात-निर्यात के कार्यों में विशेष सफलता दिलाएगा। परंतु राहु और सूर्य का नवम-पंचम योग, सूर्य और बृहस्पति का षडाष्टक योग है।

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बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का चतुर्दशम योग, मंगल और राहु का षडाष्टक योग। सूर्य, चंद्र, मंगल और शुक्र का द्विद्वादश योग। बृहस्पति और केतु का द्विद्वादश योग। मैदिनी ज्योतिष की गणनानुसार राष्ट्र एवं विश्व के लिए अनुकूलता का संकेत नहीं मिल रहा है। इस समय विश्व को प्राकृतिक प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। आतंकवाद व विस्फोटक घटनाएं बढ़ेगी।

बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, आगजनी, रेल, सड़क और हवाई दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। क्योंकि मंगल और राहु का षडाष्टक योग भी है। भारत का वृषभ लग्न है और इस समय लग्नेश शुक्र-सूर्य और चंद्रमा के साथ तीसरे भाव में है। शुक्र का राहु से नवम-पंचम योग विशेष अनुकूलता का संकेत नहीं दे रहा है।

मंगल और राहु का समसप्तक योग आगजनी, रेल-सड़क व हवाई दुर्घटनाओं का योग। सूर्य का राहु से संबंध ये भी संकेत दे रहा है कि राजनीति में जबरदस्त उठा-पटक का सामना भी करना पड़ सकता है। मार्केट में उछाल रहेगा। वायदा व्यापार और शेयर मार्केट का बाजार सांप-सीढ़ी का खेल खेलेगा। व्यापारियों को मार्केट का खेल समझने में परेशानी आएगी।

बृहस्पति और राहु का षडाष्टक योग सुख और सौहार्द्र में कमी का संकेत दे रहा है। संवेदनशील विषयों पर असंवेदनशील टिप्पणियां, सांप्रदायिक झगड़े, दंगे-फसाद और भय का वातावरण पैदा कर सकती हैं।

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