सपने रंगबिरंगे : कितने सच्चे, कितने अच्छे

सपनों की अनूठी दुनिया!

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सपनों की दुनिया अनूठी होती है। सारे संसार में ऐसा कोई व्यक्ति शायद ही हो जिसने कभी कोई सपना न देखा हो। उम्र, वक्त, स्थान, परिवेश तथा देश के अनुसार सपने भी रंग बदलते हैं। बचपन, जवानी और वृद्ध अवस्था में अनुभूत सपनों में अंतर होता है।

* नन्हे बच्चों के स्वप्न प्राय: छोटी-मोटी बातों यानी खिलौनों आदि से जुड़े रहते हैं। कई बार शिशु पालने में स्वयं को देखता है।

* किशोरावस्था में व्यक्ति के सपने खेलकूद, मस्ती, छीना-झपटी से जुड़े रहते हैं।

* युवा मानस रोमांटिक सपने देखता है। प्राकृतिक दृश्यों में आनंद अनुभव करता है।

* अधेड़ व्यक्ति अपनी नौकरी, गृहस्थ जीवन, बच्चों की देखरेख तथा भावी चिंताओं से जुड़े स्वप्न देखता है।

* वृद्ध लोग जीवन में जिन अभावों की पूर्ति के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे तथा परिवेश से लड़ते-झगड़ते रहे। उसी के अनुरूप स्वप्न-दर्शन करता है।

* जीवन के अंतिम चरण की ओर बढ़ता व्यक्ति धर्म स्थानों, मंदिर, गिरिजाघर आदि के समीप मंडराने के स्वप्न देखता है। कई बार गहरी नींद में यमराज का स्वप्न देख बौखला उठता है।

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बुरे सपने का अच्छा फल :- माना जाता है कि अच्‍छे सपने प्राय: शुभ फलदायक नहीं होते, इसी प्रकार बुरे सपने सदा अशुभ नहीं होते। यह धारणा गलत नहीं है। जैसे स्वप्न में अपनी मृत्यु देखना बुरा लगता है, परंतु यह आयु की वृद्धि तथा रोग से मुक्ति को दर्शाता है।

- इसी तरह किसी अपराध के लिए पुलिस द्वारा गोली का शिकार होना उन्नति का सूचक है।

- स्वयं को फांसी पर झूलते देखना तथा लोगों को विलाप करते देखना भाग्य में वृद्धि का सूचक है।

- सांप द्वारा डंक का शिकार होना धन प्राप्ति का सूचक है।

अच्छे सपनों का बुरा फल :- इसके विपरीत अपनी शादी का दृश्य देखना या घोड़ी पर सवार होकर बारात देखना एक बड़ी आपत्ति, भय या मृत्यु का सूचक है।

- स्वयं को सरकार द्वारा सम्मानित होते प्रसन्न भाव में देखना पराजय का संकेत है तथा धन हानि को दर्शाता है।

- कोई युवती यदि हाथों में मेहंदी देखती है तो वह वैधव्य या विवाह-विच्छेद का दुख भोगने वाली होती है।

- यदि कोई गर्भवती स्वप्न में पुत्र जन्म का अनुभव करती है, पुत्र जन्म का स्वप्न देखती है, तो उसे अपने गर्भ की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए। ऐसे स्वप्न गर्भपात के सूचक हैं।

नोट : यह जानकारी परंपरागत रूप से प्राप्त ज्ञान पर आधारित है। पाठकों की सहमति-असहमति स्वविवेक पर निर्भर है।

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