rashifal-2026

20 अगस्त को बांधी जाएगी राखी : पं. देवेन्द्र

पं. देवेद्रसिंह कुशवाह
भा ई- बहन के प्रेम और विश्वास के लिए मनाए जाने वाला विश्व का एकमात्र और अनूठा त्योहार रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति की पहचान है जिसे हजारों सालों से मनाया जाता है इसलिए रक्षाबंधन को बनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं।

FILE


रक्षाबंधन के पवित्र पर्व को मनाए जाने के निर्देश शास्त्रों में बताए गए हैं जिसका पालन करने से शुभता की प्राप्ति होती है। शास्त्र के अनुसार भद्रा रहित अपरान्ह व्यापिनी पूर्णिमा तिथि की करना चाहिए क्योकि मान्यता अनुसार भद्रा के समय श्रावणी (रक्षाबंधन )और फाल्गुनी (होली) नहीं मनाने का विधान है-

' भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी, श्रावणी नृपति हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी।'

यदि भद्रा में श्रावणी करें तो राजा को और होली करें तो ग्राम को हानि होना बताया गया है।

विशेष :


समस्त पंडितों और ज्योतिषियों का राय देने के पश्चात वेबदुनिया दिनांक 20 को रात्रि 8.49 के बाद और दिनांक 21 को शुभ और अमृत के चौघड़‍िया में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त देती है। ज्योतिषियों के विचारों को मान्य करना पाठकों के स्वविवेक पर निर्भर करता है। 21 अगस्त को प्रात: 7.30 से 9 बजे तक अमृत का चौघड़‍िया है तथा 10.30 से 12 बजे तक शुभ का चौघड़‍िया है जिसमें राखी बांधना अति उत्तम है। सायंकाल में 7.30 से मंगल मुहूर्त शुभ चौघड़‍िया से आरंभ होंगे तथा रा‍‍त्रि 9 बजे से 10 बजे तक अमृत योग हैं। इस समय राखी बांधी जा सकती है। दिनांक 20 को सारे दिन भद्रा दोष है अत: रात 8 बजकर 49 मिनट तक राखी संबंधी हर शुभ कार्य वर्जित हैं।



यह पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल पूर्णिमा दो दिन 20 अगस्त और 21 अगस्त को है।

FILE


शास्त्रों में श्रावण पूर्णिमा दो दिन हो तो पहले दिन अपरान्ह काल भद्रा हो और अगले दिन उदयात तिथि में तीन मुहूर्त से अधिक हो तो उसी दिन रक्षाबंधन बनाना चाहिए लेकिन यदि दूसरे दिन उदयात में पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम हो तो पहले दिन भद्रा रहित प्रदोष काल में रक्षाबंधन मनाया जाना चाहिए।

उदयत्रिमुहूर्त्त्तन्यूनत्वे पूर्वेद्युर्भद्रारहिते प्रदोषादिकाले कार्यम् - धर्मसिंधु




इसलिए 20 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाना शास्त्र सम्मत है क्योंकि इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा 20 अगस्त मंगलवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनिट पर प्रारंभ होगी जो अगले दिन 21 अगस्त बुधवार को सुबह 7 बजकर 15 मिनिट तक रहेगी जो तीन मुहूर्त से कम है।

WD


20 अगस्त को भद्रा प्रात: 10 बजकर 21 मिनिट से रात्रि 8 बजकर 48 मिनिट तक रहेगी अगले दिन पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम होने से पूर्व दिन 20 अगस्त को प्रदोषकाल में भद्रा के पश्चात् रात्रि 8 बजकर 48 मिनिट से रक्षाबंधन करना चाहिए।

अति आवश्यक होने पर भद्रा मुख में दोपहर 3 बजकर 35 मिनिट से सायं 6 बजकर 12 तक राखी बांधी जा सकती है परन्तु भद्रापुच्छ में साय 6 बजकर 12 मिनिट से 20 बजकर 48 मिनिट की अवधि निषिद्ध है।

कार्येत्वावश्यके विष्टे: मुखमात्रं परित्यजेत - मुहूर्तप्रकाश

इस तरह का संयोग 40 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 13 व 14 अगस्त 1973 को ऐसा संयोग बना था आगे ऐसे ही स्थिति 2022 में बनेगी।

उत्तर भारत के कई प्रदेशों में उदयात तिथि में पूर्णिमा होने पर पूरा दिन रक्षाबंधन बनाया जाता है। भाई पूजा पाठ आदि से निवृत्त हो राखी बंधाते हैं। अत: वह लोग 21 अगस्त को इस पर्व को मनाएंगे तथापि कुल-परम्परा और लोक प्रचलन अनुसार आवश्यक परिस्थिति में भद्रारहित काल में शुभ मुहूर्त देख कर रक्षाबंधन मनाया जाना चाहिए।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments

ज़रूर पढ़ें

'आकाशीय रिकॉर्ड' विद्या क्या है, जानिए कैसे करती है ये आपकी समस्याओं का समाधान?

Lohri Festival: लोहड़ी का पर्व कब है?

Year Ender 2025: वर्ष 2025 की 12 प्रमुख धार्मिक घटनाएं

Paus Amavasya 2025 पौष मास की अमावस्या का महत्व और व्रत के 5 फायदे

Guru Mmithun Gochar 2025: गुरु का मिथुन राशि में गोचर, 3 राशियों को रहना होगा संभलकर

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (13 दिसंबर, 2025)

जनवरी 2026 में 4 राशियों को होगा बड़ा फायदा

13 December Birthday: आपको 13 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 13 दिसंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Paush Month Festivals: पौष महीना 2025-2026: प्रमुख व्रत और त्योहारों की सूची