5 predictions for the year 2026: वर्ष 2026 में बृहस्पति 2 जून तक मिथुन राशि में रहेंगे, फिर 2 जून से 31 अक्टूबर तक कर्क राशि में रहेंगे। कुंभ से निकलकर 5 दिसंबर को राहु मकर में गोचर करेगा। सिंह से निकलकर केतु कर्क में गोचर करेगा। 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। इस बीच शनि की वक्री और मार्गी गति मीन में ही रहेगी। मूलत: शनि, बृहस्पति, राहु, केतु और मंगल का ही वर्ष 2026 में ज्यादा प्रभाव रहेगा।
1. युद्ध और सुरक्षा: देश की सुरक्षा पहले की अपेक्षा और भी ज्यादा मजबूत होगी। चाहे SIR हो या लड़ाकू विमान खरीदी का मामला हो या फिर सीमाओं कर सड़क और तारबंदी का काम हो यह बहुत तेजी से होने वाला है और हो भी रहा है। आने वाले समय में जब रौद्र नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा तो देश और दुनिया में खासकर भारत में पाकिस्तान के साथ एक बार फिर से युद्ध के हालात बनेंगे। बृहस्पति के अंतर्गत मंगल का गोचर पाकिस्तान को मटियामेट कर देगा।
2. ज्ञान और विज्ञान: ज्ञान का अर्थ शिक्षा और शोध। इस संबंध में भारत में बढ़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं और यह बदलाव वर्ष 2026 में और भी तेजी से होंगे। बृहस्पति देव का गोचर शिक्षा को पूरी तकरह बदलकर रख देगा। शिक्षा और परीक्षा का पैटर्न बदलता जाएगा जिसकी की शुरुआत भी हो चूकी है।
3. टेक्नॉलोजी: छाया ग्रह राहु वर्तमान में कुंभ राशि में है और 2 दिसंबर 2025 को उसने शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश किया है। कुंभ राशि शनि की है और शतभिषा नक्षत्र राहु का खुद का नक्षत्र है। खुद के नक्षत्र में राहु का गोचर देश और दुनिया में खासकर भारत में टेक्नॉलॉजी का विस्तार तेजी से होगा। हर क्षेत्र में AI तकनिक का उपयोग बढ़ जाएगा। मोबाइल फोन, इंटरनेट, कंप्यूटर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ ही स्पेस में भारत की क्षमता बढ़ती जाएगी।
4. न्याय व्यवस्था: बृहस्पति न्याय को कायम करने के लिए किसी भी हद तक जाकर व्यवस्था में बदलाव करने की क्षमता रखते हैं। जब बृहस्पति का कर्क में गोचर होगा तो यह देश और दुनिया में लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ ही न्याय व्यवस्था को बहाल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसके लिए जहां पाकिस्तान जैसे देशों में सैन्य शासन के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरेंगे वहीं भारत में सरकार को निरंकुश होने से रोका जाएगा।
5. अर्थ: कई देशों में मंदी के संकेत हैं लेकिन भारत की अर्थ व्यवस्था में जबरदस्त उछाल आएगा। जब गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह उच्च अवस्था में होंगे, जिससे कुछ समय के लिए आर्थिक स्थिरता, सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। चांदी की अपेक्षा सोना तेजी से बढ़ेगा। शेयर मार्केट में संतुलन बना रहेगा।
अतितारी बृहस्पति के कारण दुनिया का सुख चैन और मौसम खत्म हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और जल संबंधित प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाएगी। आर्थिक स्थिति पर इसका प्रभाव पड़ेगा। राहु के कारण दुनिया में भ्रम फैलेगा, महामारी का प्रकोप रहेगा। मंगल और शनि के कारण महादंगल होगा। वर्तमान में विक्रम संवत 2082 के अंतर्गत कालयुक्त सिद्धार्थ संवत्सर चल रहा है। इस संवत्सर के फलानुसार भारत में और दुनिया में युद्ध और आतंकवाद की घटओं के दर्शन होंगे, जो एक बड़े युद्ध की भूमिका तय करेंगे। महंगाई बढ़ेगी। वर्षा खंडित होगी। कई जगह अकाल और कई जगह बाढ़ के हालात देखने को मिलेंगे। वैश्विक स्तर पर दोस्त और दुश्मन तय हो जाएंगे। इसके बाद अगले साल 19 मार्च 2026 से रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। यानी विक्रम संवत 2083 से प्रारंभ होगा रौद्र संवत्सर। यह देश और दुनिया में नरसंहार लेकर आएगा। मध्य एशिया में नरसंहार जारी है और अब यह दक्षिण एशिया में भी देखा जाएगा। इस दौरान मौसम में भारी बदलाव होगा और किसी बड़े भूकंप के आने या ज्वालामुखी फटने के संकेत भी मिलते हैं।