गुरु-पुष्य नक्षत्र : बेहद खास है 9 नवंबर का दिन, पढ़ें ये विशेष मंत्र

राजश्री कासलीवाल
* गुरु-पुष्य नक्षत्र : बेहद खास है आज का दिन, सारे काम होंगे सफल
 
देवगुरु बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता माना गया है। ज्योतिष के अनुसार 9  नवंबर 2017, गुरुवार का दिन नक्षत्र की दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि 9  नवंबर के दिन साल का सबसे अच्छा शुभ संयोग बनने जा रहा है।
 
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वर्ष 2017 में कुल 6 बार रवि-पुष्य, गुरु-पुष्य का संयोग निर्मित होगा जिसमें 5वां खास संयोग गुरुवार के दिन दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर इस साल  का सबसे अच्छा गुरु-पुष्य नक्षत्र का रहेगा, यह संयोग अगले दिन तक रहेगा। ज्ञात हो कि अभी तक 4 शुभ संयोग बन चुके हैं और 2 शुभ संयोग अभी बाकी हैं। ऐसा खास संयोग 2-3 साल में एक बार ही आता है।
 
ज्योतिषियों के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का पुष्य नक्षत्र में आने से यह समय अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इस नक्षत्र में पूजन-अर्चन और मंत्र जाप करने से जीवन के सभी कष्ट, संकट दूर होते हैं। इस दिन देवगुरु बृहस्पति का पूजन और नीचे दिए गए मंत्रों का  जाप करने से सारे काम सफल हो जाते हैं और इसका शुभ फल चिरस्थायी रूप से प्राप्त होता है।
 
पुष्य नक्षत्र के देवता- गुरु, नक्षत्र स्वामी- शनि, आराध्य वृक्ष- पीपल, नक्षत्र प्राणी- बकरी तथा तत्व अग्नि हैं। पुष्‍य नक्षत्र का स्वभाव शुभ होता है। अत: यह नक्षत्र शुभ संयोग  निर्मित करता है और इस दिन विशेष उपाय व मंत्र जाप करने से जीवन के हर क्षेत्र में शुभ फल मिलने लगते हैं।
 
आइए जानें पुष्य नक्षत्र के वेदों में वर्णित पौराणिक मंत्र-
 
नक्षत्र देवता के नाम का मंत्र : ॐ बृहस्पतये नम:।
 
पुष्य नक्षत्र का नाम मंत्र : ॐ पुष्याय नम:।
 
पौराणिक मंत्र : वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम्। सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात्।।
 
वेद मंत्र : ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु।
यददीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम।
 
ॐ बृहस्पतये नम:
 
इन मंत्रों का स्मरण करने से जीवन में सबकुछ शुभ ही शुभ घटि‍त होता है। 

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