हिन्दू धर्म में अमावस्या विशेष धार्मिक महत्व रखती है। खास कर अधिकमास की अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। इस संबंध में मान्यता है कि अधिकमास के अंतिम दिन यानी आखिरी अमावस्या को दान-धर्म करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है तथा इस जीवन की कई परेशानियों और दुखों के निवारण हो जाता है। इस बार यह अमावस्या शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020 को है। आइए जानें...
कैसे करें अधिकमास की अमावस्या के दिन पूजन :-
* अधिकमास की अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है।
* ऐसा माना गया है कि पीपल वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
* अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
* महाभारत काल से ही अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
* अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा अवश्य करें।
* अधिकमास की अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है।
* जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी अधिकमास की अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है।
* इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
जहां अमावस्या पर भूखे को भोजन कराने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं, वहीं इस दिन सुहागिनों द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन शुक्रवार होने से धन की देवी मां लक्ष्मी का विशेष पूजन-अर्चन करना चाहिए। इस दिन अधिकमास का समापन भी होगा।