13 दिन का अशुभ पक्ष पड़ने वाला है, जानें क्या होगा विनाश?

23 जून से 5 जुलाई तक 13 दिन के दुर्योग पक्ष के बारे में भविष्यवाणी

WD Feature Desk
बुधवार, 19 जून 2024 (15:45 IST)
13 din ka paksha in 2024
Astrology 13 din ka paksha in 2024 : हिंदू पंचांग और कैलेंडर के अनुसार एक पक्ष 15 दिन का होता है। 2 पक्ष का 1 माह होता है। इस बार आषाढ़ माह में ऐसा नहीं होने वाला है।  प्रतिपदा और चतुर्दशी तिथि तिथियों के क्षय के चलते आषाढ़ माह का एक पक्ष 15 की बजाय 13 दिनों का रहने वाला है। ज्योतिष के अनुसार 13 दिन के पखवाड़े को दुर्योग काल कहा गया  है। इस काल में देश दुनिया में अमंगलकारी घटनाएं हो सकती हैं।
 
अनेक युग सहस्त्रयां दैवयोत्प्रजायते। त्रयोदश दिने पक्ष स्तदा संहरते जगत।- वेद
अर्थ- देव योग से कई एक युगों में तेरह दिन का पक्ष आता है। इस संयोग में प्रजा को नुकसान, रोग, मंहगाई व प्राकृतिक प्रकोप, झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है।
 
कब से कब तक रहेगा 13 दिनों का पक्ष : आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाय 13 दिन ही रहेंगे. इसे भारतीय शास्त्रों में विश्व घस्र पक्ष नाम दिया गया है। इन 13 दिनों को अशुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार संवत 2081 में इस बार यह पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।ALSO READ: 2025 predictions: वर्ष 2025 को क्यों माना जा रहा है सबसे खतरनाक?
 
क्या होता है 13 दिन के पक्ष के चलते:-
13 दिनों के पक्ष के चलते भारत के राजा पर विपत्ति आ सकती है या इन पक्ष में विपत्ति की शुरुआत हो जाएगी।
13 दिनों के पक्ष के चलते प्रजा को नुकसान, रोग संक्रमण, महामारी, महंगाई, प्राकृतिक आपदा, लड़ाई झगड़ा, विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है।
ऐसे कहते हैं कि जब भी 13 दिन का पखवाड़ा आता है तब भूकंप समेत कई अप्रिय घटनाएं होती हैं।
ज्योतिष के अनुसार इन्हीं 13 दिनों के अंदर भविष्‍य की विनाशकारी घटनाओं की नींव रख दी जाती है।
 
त्रयोदशदिने पक्षे तदा संहरते जगत् .अपि वर्षसहस्रेण कालयोगः प्रकीर्तितः ।। पीयूषधारा 1/48
शुक्ले पक्षे सम्प्रवृद्धे प्रवृद्धि ब्रह्मक्षत्रं याति वृद्धि प्रजाश्च।हीने हानिस्तुल्यता तुल्यतानां कृष्णे सर्वं तत्फलं व्यत्ययेन ।। बृहत्संहिता 4/31
 
ज्योतिर्निबन्ध में इस दोष को रौरवकालयोग कहा गया है:- 
पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां तदा भवेद्रौरवकालयोगः। 
पक्षे विनष्टे सकलं विनष्टमित्याहुराचार्यवराः समस्ताः ।। ज्योतिर्निबन्ध, 84/7
 
महाभारत युद्ध के समय तेरह दिन का पक्ष था:-
चतुर्दशीं पञ्चदशीं भूतपूर्वा षोडशीम् .इमां तु नाभिजानेऽहममावस्यां त्रयोदशीम्।। महाभारत, भीष्मपर्व, जम्बूखण्डनिर्माण पर्व, 3-32
 
पहले कब बना था ऐसा संयोग?
 
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