Bhutadi amavasya 2024: चैत्र माह की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहते हैं क्योंकि इस दिन वे दिवंगत आत्माएं उग्र य बैचेन हो जाती हैं जिनकी अकाल मृत्यु हुई है। जब यह अमावस्या सोमवार को आती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं तब यह और भी ज्यादा महत्व की हो जाती है। भूतड़ी अमावस्या को वैसे ही इस तरह की नकारात्मक शक्तियां बहुत उग्र होती हैं, पर इसी दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। सूर्य ग्रहण के दौरान राहु उग्र हो जाता है. तो ये काफी घातक संयोग बन रहा है यह एक ऐसा दिन है जबकि अपनी कुंडली के पितृ दोष, प्रेत दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय करके इनसे हमेशा के लिए छुटकारा पास सकते हैं।
1. कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय के लिए राहु और केतु के सवा लाख जप करवाने के बाद भगवान शंकर का रुद्राभिषेक किया जाता है। चांदी के सांपों का जोड़ा अर्पित किया जाता है। यह कार्य किसी पंडित के द्वारा संपन्न कराया जाना चाहिए।
2. शनि के साथ राहु या केतु हैं तो प्रेत दोष बनता है। शनि के साथ राहु हो तो राहु का और केतु है तो केतु का सवा लाख जप कराकर शनि की शांति के लिए दशांश हवन कराते हैं। इसके बाद शिवजी का रुद्राभिषेक कराया जाता है। इसके बाद श्रीहरि विष्णुजी का पूजन भी करते हैं। यह कार्य किसी पंडित के द्वारा संपन्न कराया जाना चाहिए।
3. राहु के साथ चंद्र, शनि के साथ चंद्रमा, लग्न में राहु के साथ शनि बैठा है तो पितृ दोष बनता है। इसके अलावा गुरु दशवें भाव में हो तो या नौवें भाव में शुक्र बुध हो तो पितृ दोष निर्मित होता है। कई स्थिति में कालसर्प दोष के साथ भी यह दोष बनता है। इसके उपाय के लिए नारायण बलि दे, भगवान विष्णु की पूजा करें और गरुण पुराण का अनुष्ठान कराएं।
4. पितृदोष की शांति के लिए इस दिन पिंडदान और तर्पण करके 11 ब्राह्मणों को भोज कराया जाना चाहिए।
5. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद यथाशक्ति गरीबों को और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। दान में अन्न, वस्त्र, चप्पल, छाता, पलंग, बिस्तर और मिठाई का दान करें।