दान से पहले यह 9 बातें रखें ध्यान में वरना....

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दान की महिमा हर धर्म में मानी गई है। लेकिन दान किसे दिया जाए और किस विधि से दिया जाए इस पर बहुत कम शास्त्रों में वर्णित है। यहां हम दे रहे हैं कुछ ऐसे नियम जो दान से पूर्व हर व्यक्ति को जानना आवश्यक है। 
 
1 मनुष्य को अपने द्वारा न्यायपूर्वक अर्जित किए हुए धन का दसवां भाग ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किसी सत्कर्मो में लगाना चाहिए। जो मनुष्य अपने स्त्री, पुत्र एवं परिवार को दुःखी करके दान देता है। वह दान जीवित रहते हुए भी एवं मरने के बाद भी दुःखदायी होता है।
 
2 स्वयं जाकर दिया हुआ दान उत्तम एवं घर बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम फलदायी होता है। गौ, ब्राह्मणों तथा रोगी को जब कुछ दिया जाता हो उस समय जो ना देने की सलाह देता है वह दुःख भोगता है।
 
3 तिल, कुश, जल और चावल इनको हाथ में लेकर दान देना चाहिए अन्यथा उस दान पर दैत्य अधिकार कर लेते हैं। पितरों को तिल के साथ तथा देवताओं को चावल के साथ दान देना चाहिए। 
 
4 देने वाला पूर्वाभिमुखी होकर दान दें, और लेने वाला उत्तराभिमुखी होकर उसे ग्रहण करें, ऐसा करने से दान देने वाले की आयु बढ़ती है और लेने वाले की भी आयु क्षीण नहीं होती।

5 अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन इन आठ वस्तुओं का दान मृत्युउपरांत के कष्टों को नष्ट करता है। 
 
6 गाय, घर, वस्त्र, शय्या तथा कन्या इनका दान एक ही व्यक्ति को करना चाहिए। रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन, ब्राह्मणों के पैर धोना गौ दान के समान है। 
 
7 दीन, निर्धन, अनाथ, गूंगे, विकलांग तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है उसका महान पुण्य होता है। 
 
8 विद्याहीन ब्राह्मणों को दान नहीं लेना चाहिए, बुद्धि की हानि होती है। 
 
9 गाय, स्वर्ण, चांदी, रत्न, विद्या, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, अन्न, दुध, छत्र तथा आवश्यक सामग्री सहित घर इन 16 वस्तुओं के दान को महादान कहते हैं।
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