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दत्तात्रेय जयंती कब है, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

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WD Feature Desk

, बुधवार, 11 दिसंबर 2024 (16:15 IST)
Dattatreya Jayanti : ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के अवतार तथा त्रिमूर्ति के रूप में पहचाने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय की जयंती हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन को भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे दत्त जयंती भी कहते हैं। इस साल यानि वर्ष 2024 में पंचांग के हिसाब से दत्तात्रेय जयंती दिन शनिवार, 14 दिसंबर को मनाई जा रही है। 
 
Highlights 
  • दत्तात्रेय भगवान की जयंती कब है?
  • दत्तात्रेय कौन सा दिन है?
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा और दत्तात्रेय जयंती कब है? 
हिंदू धर्म में दत्तात्रेय जयंती बेहद महत्वपूर्ण तथा शुभ दिनों में से एक तिथि मानी गई है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का अवतरण मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल में हुआ था। अत: इस समय में दत्तात्रेय भगवान का पूजन करने से मनुष्य की समस्त मनोकामना पूर्ण होती है तथा उनके मंत्र जाप से पितृ दोष दूर होता है। 
 
आइए जानते हैं यहां दत्तात्रेय जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है : Dattatreya Jayanti 2024 Shubh Muhurat
 
शनिवार, दिसंबर14, 2024 को दत्तात्रेय जयंती 
 
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ- दिसंबर 14, 2024 को शाम 04 बजकर 58 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन- दिसंबर 15, 2024 को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर होगा। 
 
दत्तात्रेय पूजन का शुभ मुहूर्त : गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:23 से 05:51 के बीच।
 
दत्तात्रेय भगवान श्री विष्णु के अवतार तथा तीनों ईश्वरीय शक्तियों से समाहित होने के कारण सर्वव्यापी महायोगीश्वर माने गए हैं। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा को यह दिन बड़े ही समारोहपूर्वक तथा दत्त जयंती उत्सव के रूप में उनके भक्तों द्वारा मनाया जाता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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