होली जलेगी 17 मार्च को और खेलने की होली 19 मार्च को, जानिए ऐसा क्यों

Webdunia
गुरुवार, 17 मार्च 2022 (12:20 IST)
Holi Dhulandi kab hai 2022: आज 17 मार्च को रात्रि में होलिका दहन होगा। अधिकतर जगहों पर 18 मार्च को धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। परंतु, कुछ ज्योतिष मान्यता के अनुसार 19 मार्च को धुलेंडी का पर्व रहेगा। यानी इस दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी। आओ जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हैं।
 
 
1. फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च गुरुवार को दोपहर 1.29 बजे से आरंभ हो रही है, जो 18 मार्च शुक्रवार को दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी। पंचांग भेद से इसके समय में थोड़ा बहुत अंतर है।
 
2. होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में रात के समय यानी 17 मार्च की रात्रि को भद्रा मुक्त काल में होगा। कोई भी कार्य भद्रा में नहीं होता है। 
 
3. बनारसी पंचांग के अनुसार 17 मार्च की मध्यरात्रि को 12.57 बजे तथा मिथिला पंचांग के अनुसार रात्रि 1.09 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में होलिका दहन का कार्य इसके बाद किया जाएगा। मतलब यह कि या तो होलिका दहन 12.57 के पहले किया जाए या रात्रि 1.09 बजे के बाद किया जाए। 12 बजे के बाद दूसरा दिन यानी 18 मार्च लग जाएगा। मतलब यदि होलिका दहन 18 मार्च में किया जाता है तो 19 मार्च को धुलेंडी रहेगी।
 
4. इस मान से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शनिवार को हस्त नक्षत्र व वृद्धि योग में 19 मार्च को होली मनाई जाएगी। व्रत की पूर्णिमा 17 मार्च को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 18 मार्च को रहेगी और प्रतिपदा 19 मार्च को रहेगी। धुलेंडी मनाने की परंपरा प्रतिपदा के दिन ही रहती है और प्रतिपदा 19 मार्च को है। यानी 19 मार्च को ही रंगों वाली होली मनाना चाहिए।
 
 
5. हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही होली मनाई जाती है। यानी की 18 मार्च को भी होली मनाई जा सकती है।

6. धर्मसिन्धु के अनुसार भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिए उत्तम मानी जाती है। परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए।  यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये
 
7. निर्णय सिंधु के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष काल व्यापिनी- फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 18 मार्च 2022 को यह दोपहर 12:47 पर ही समाप्त हो रही है। जबकि 17 मार्च को यह प्रदोषव्यापिनी है। परन्तु इस दिन प्रदोषकाल भद्रा से व्याप्त होने के कारण होलिका दहन का सर्वदा निषेध है। इस स्थिति में भद्रापुच्छ में होलिका दहन का निर्देश है। अतः होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च 2022 को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट से लेकर 10 बजकर 12 मिनट के मध्य होगा। इसी अवधि में होलिका करना शास्त्र सम्मत भी है।
 
निर्णय :
 
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 17 मार्च दिन 01 बजकर 29 मिनट से। 
 
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 मार्च रात 12 बजकर 47 मिनट पर।
 
भद्रा पूंछ : रात्रि 09 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक
 
भद्रा मुख : रात्रि 10 बजकर 12 मिनट से मध्यरात्री 12 बजकर 11 मिनट तक।
 
होलिका दहन मुहूर्त: गुरुवार 17 मार्च रात्रि 09 बजकर 01 मिनट से रात्रि 10 बजकर 12 मिनट तक।
 
रंगवाली होली (धुलण्डी) : 18 मार्च शुक्रवार को खेली जाएगी।


क्यों नहीं करते भद्रा में कार्य : धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

भगवान शिव के परिवार से हुई है सभी धर्मों की उत्पत्ति, कैसे जानिए

ग्रहों की चाल और आपका भाग्य, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (28 जुलाई से 3 अगस्त तक)

काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए सिद्ध माने जाते हैं ये 5 नाग मंदिर, क्या है पौराणिक मान्यता

प्रियंका गांधी के तारे सितारे क्या कहते हैं, क्या बन सकती हैं विपक्ष का चेहरा?

क्या फिर लौटेगी महामारी! नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा की भविष्यवाणी में छुपे 2025 में तबाही के संकेत

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: आज ये 5 राशियां रखें सावधानी और संयम, पढ़ें 29 जुलाई का ताजा राशिफल

29 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

29 जुलाई 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

नागपंचमी पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए आजमाएं 8 सरल उपाय

नाग पंचमी पर बन रहा है अद्भुत योग संयोग, करें ये 5 अचूक उपाय

अगला लेख