इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति धनवान बनना चाहता है। इसके लिए वह अथक परिश्रम भी करता है लेकिन धनवान बनने का सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता। इसके पीछे मुख्य कारण है उनकी जन्म पत्रिका में धन योग का न होना। यदि किसी जातक की पत्रिका में धनयोग नहीं है तो वह चाहे जितना भी परिश्रम कर ले, वह धनाढ्य नहीं बन पाता। इसके ठीक विपरीत यदि जन्म पत्रिका में ऋण योग योग बन रहा है तो जातक को अपने जीवन में कर्ज तक लेना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि ऋण योग क्या है एवं यह कैसे बनता है?
क्या होता है ऋण योग?
6ठे भाव का स्वामी यदि धनेश से युति करे और लाभेश 6, 8, 12वें भाव में हो, केंद्र में कोई शुभ ग्रह न हो व लग्नेश निर्बल हो। इस स्थिति में जन्म पत्रिका में 'ऋण योग' का सृजन होता है। इसके प्रभाव से जातक सदैव आर्थिक चिंताओं से घिरा रहता है। अथक परिश्रम के बावजूद उसे अपेक्षित लाभ प्राप्त नहीं होता एवं वह बार-बार कर्जदार हो जाता है। इस योग की शांति के षष्ठेश की शांति के साथ धनदायक प्रयोग करना लाभप्रद रहता है।
इस प्रकार के योग वाले जातक क्या न करें-
1. कभी धन संबंधी कोई जोखिम न लें।
2. कभी किसी को उधार न दें।
3. कभी कर्ज न लें।
4. अपने व्यय पर नियंत्रण रखें।
5. जुआ, सट्टा इत्यादि कार्यों से दूर रहें।
6. प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ करें।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र