Kushotpatini Amavasya 2022 : कब है कुशोत्पाटिनी अमावस्या, जानिए महत्व

पं. हेमन्त रिछारिया
हमारे शास्त्रों में प्रत्येक हिन्दू साधक व धर्मावलंबी को संध्यावंदन, अग्निहोत्र, पूजन-अर्चन, होम एवं पितृकार्य करना आवश्यक है। शास्त्रानुसार इन कार्यों को संपादित करते समय साधक को 'पवित्री' धारण करना आवश्यक माना गया है। हमारे शास्त्रों में 'पवित्री' से आशय कुश (Kush) अथवा स्वर्ण से बनी अंगूठी से होता है जिसे धारण किए बिना कोई भी धार्मिक कार्य की विशुद्धि व पूर्णता नहीं मानी गई है।
 
शास्त्रानुसार स्वर्ण की पवित्री का महत्व कुश की पवित्री से अधिक बताया गया है किंतु स्वर्ण की पवित्री धारण करना प्रत्येक श्रद्धालु के लिए संभव न होने के कारण शास्त्र में कुश की पवित्री की व्यवस्था को स्वीकार किया गया है। 
 
पवित्री को सदैव दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में धारण किया जाना चाहिए। कुश की पवित्री के लिए कुशा का होना आवश्यक है। शास्त्रानुसार पवित्री एवं अन्य पितृकार्य के लिए कुश को ठीक मुहूर्त में प्राप्त करना आवश्यक है। 
 
किसी भी मास की अमावस को उखाड़ा गया कुश 1 मास तक पवित्र व शुद्ध रहता है। इस कुश से बनी पवित्री देवकार्य के पश्चात पवित्र स्थान में सुरक्षित रखकर पुन: 1 माह तक उपयोग में ली जा सकती है किंतु भाद्रपद मास की अमावस (Bhadrapada Amavasya 2022) जिसे विशेष रूप से 'कुशोत्पाटिनी अमावस' (Kushotpatini Amavasya) कहा जाता है। इस दिन प्राप्त किया गया कुश 1 वर्ष तक देवकार्य व पितृकार्य में उपयोग किया जा सकता है।

 
'कुशोत्पाटिनी अमावस' के दिन 'हुं फट्' के बीज मंत्र के साथ प्राप्त किया गया कुश एवं इससे बनी पवित्री का उपयोग 1 वर्ष तक किया जा सकता है। अत: 'कुशोत्पाटिनी अमावस' का विशेष महत्व होता है। 
 
इस वर्ष 'कुशोत्पाटिनी अमावस' 27 अगस्त दिन शनिवार को रहेगी। जो भी श्रद्धालुगण देवकार्य एवं पितृकार्य के लिए कुशा प्राप्त करना चाहते हैं, वे शुभ-लाभ के चौघड़िए में इस दिन प्राप्त कर सकते हैं।

 

-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
संपर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

रिश्ता तय होने, सगाई से लेकर विदाई और गृह प्रवेश सहित हिंदू विवाह की संपूर्ण रस्म

Shani gochar 2025: सूर्य ग्रहण वाले दिन शनि का बृहस्पति की मीन राशि में होगा गोचर, 3 राशियों के लिए है अशुभ

Gupta navaratri: माघ माह की गुप्त नवरात्रि कब से होगी प्रारंभ, क्या है इसका महत्व?

Kumbh mela 2025: कुंभ मेले में अब तक हुए संघर्ष और हादसों का इतिहास

महाकुंभ में नागा, अघोरी और कल्पवासियों की दुनिया करीब से देखने के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू, जानिए पूरी प्रक्रिया

सभी देखें

नवीनतम

24 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

अमिताभ बच्चन की कुंडली में बने राजयोग, शनि के गोचर से होगा जीवन में परिवर्तन

24 जनवरी 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

षटतिला एकादशी व्रत में क्या है तिल का महत्व?

बुध का मकर राशि में गोचर, 3 राशियों की नौकरी पर होगा सकारात्मक असर

अगला लेख