Lakshmi Narayan Yog: लक्ष्मी नारायण योग क्या होता है, असीम धन-संपदा और सफलता देता है यह योग

WD Feature Desk
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024 (18:57 IST)
Laxmi Narayan Yoga : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंच महापुरुष योग के साथ ही कई शुभ योग बनते हैं। जैसे बुधादित्य योग, धन योग, सुकर्मा योग, गजकेसरी योग, सुनफा योग, शश योग आदि। उन्हीं में से एक है लक्ष्मी नारायणण योग। कुंडली में इस योग का बनना बहुत ही शुभ माना गया है। आओ जानते हैं कि लक्ष्मी नारायण योग कब बनता है और क्या है इसके फायदे।
 
लक्ष्मी नारायण योग कैसे बनता है?
  1. कुंडली के किसी भाव या राशि में जब बुध ग्रह और शुक्र ग्रह एक साथ विराजमान होते हैं यानी उनकी युति बनती है तब लक्ष्मी नारायण योग बनता है। 
  2. जब इस युति पर बृहस्पति ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो इस योग में और भी प्रबलता आ जाती है और यह और भी ज्याद फलदायी हो जाता है। 
  3. गुरु की सहायता से ऐसे व्यक्ति को अपने ज्ञान का लाभ भी मिलता है।
 
यह युति कब होती है फलदायक : इस युति के बनने पर और भी कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे दोनों ही ग्रह या कोई एक ग्रह अस्त नहीं होना चाहिए। कोई भी ग्रह अपनी नीच अवस्था में नहीं होना चाहिए। अगर होगा तो नीच भंग योग बनेगा। दोनों ही ग्रहों का अंश अच्‍छा होना चाहिए। दोनों ही ग्रह का कुंडली में योगकारक हो। तभी यह फलदायक होता है। यदि यह युति स्वग्रही या मित्रग्रही है तो षडबल से यह योग बलशाली होता है। कुंडली के त्रिक भाव में यह राजयोग नहीं बनता है।
 
लक्ष्मी नारायण योग का फल :
- बुध को बुद्धि, वाणिज्य और शुक्र को विलासितापूर्ण जीवन आदि का कारक माना गया है।
- जब यह योग बनता है तो जातक को अचानक से धनलाभ होता है। 
- उसके जीवन में किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं होती है। 
- इस योग के प्रभाव से उसकी बुद्धि और प्रतिभा बहुत ही प्रखर होती है।
- इस योग से जातक को जीवन में कोई संघर्ष नहीं करना पड़ता है।
 

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