मां बगलामुखी देवी का यह राज, नहीं जानते होंगे आप, आखिर मां ने शत्रु की क्यों पकड़ी है जुबान

Webdunia
देवी बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। देवी के अन्य आभूषण भी पीले रंग के ही हैं तथा अमूल्य रत्नों से जड़ित हैं। देवी, विशेषकर चंपा फूल, हल्दी की गांठ इत्यादि पीले रंग से सम्बंधित तत्वों की माला धारण करती हैं। 
 
देवी, एक युवती के जैसी शारीरिक गठन वाली हैं, देखने में मनोहर तथा मंद मुस्कान वाली हैं। देवी ने अपने बाएं हाथ से शत्रु या दैत्य की जिह्वा को पकड़ कर खींच रखा है तथा दाएं हाथ से गदा उठाए हुए हैं, जिससे शत्रु अत्यंत भयभीत हो रहा हैं। देवी के इस जिव्हा पकड़ने का तात्पर्य यह है कि देवी वाक् शक्ति देने और लेने के लिए पूजी जाती हैं। वे चाहें तो शत्रु की जिव्हा ले सकती हैं और भक्तों की वाणी को दिव्यता का आशीष दे सकती हैं। देवी वचन या बोल-चाल से गलतियों तथा अशुद्धियों को निकाल कर सही करती हैं। कई स्थानों में देवी ने मृत शरीर या शव को अपना आसन बना रखा हैं तथा शव पर ही आरूढ़ हैं तथा दैत्य या शत्रु की जिह्वा को पकड़ रखा हैं। 
 
कुब्जिका तंत्र के अनुसार, बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग, ला; 'व' अक्षर वारुणी, 'ग' अक्षर सिद्धिदा तथा 'ला' अक्षर पृथ्वी को सम्बोधित करता हैं। देवी का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु से सम्बंधित हैं परिणामस्वरूप देवी सत्व गुण सम्पन्न तथा वैष्णव संप्रदाय से सम्बंधित हैं, इनकी साधन में पवित्रता-शुद्धता का विशेष महत्व हैं। परन्तु, कुछ अन्य परिस्थितियों में देवी तामसी गुण से सम्बंधित है, आकर्षण, मारण तथा स्तंभन कर्म तामसी प्रवृति से सम्बंधित हैं क्योंकि इस तरह के कार्य दूसरों को हानि पहुंचाने हेतु ही किए जाते हैं। सर्वप्रथम देवी की आराधना ब्रह्मा जी ने की थी, तदनंतर उन्होंने बगला साधना का उपदेश सनकादिक मुनियों को किया, कुमारों से प्रेरित हो देवर्षि नारद ने भी देवी की साधना की। देवी के दूसरे उपासक स्वयं जगत पालन कर्ता भगवान विष्णु हुए तथा तीसरे भगवान परशुराम।
 
शांति कर्म में, धन-धान्य के लिए, पौष्टिक कर्म में, वाद-विवाद में विजय प्राप्त करने हेतु तथा शत्रु नाश के लिए देवी उपासना व देवी की शक्तियों का प्रयोग किया जाता हैं। देवी का साधक भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त कर लेते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Dussehra 2025: मरने के बाद क्यों हंसा था रावण के पुत्र मेघनाद का कटा सर, जानिए रामायण से जुड़ी ये पौराणिक कथा

Dussehra 2025: हिंदू त्योहार दशहरा की 50 खास बातें

Sharadiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के 10 चमत्कारिक उपाय: जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए

Dussehra 2025: क्यों दिया माता पार्वती ने रावण को शाप, जानिए क्या था लंका का शिव परिवार से संबंध

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर करें कुलदेवी की इस तरह पूजा तो मिलेगा आशीर्वाद

सभी देखें

नवीनतम

01 October Birthday: आपको 1 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 01 अक्टूबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Vijayadashami 2025: घर में लाई जाने वाली शुभ वस्तुएं: दशहरे पर घर में क्या-क्या लाना चाहिए, जिससे सुख-समृद्धि आए

रावण से मिली सीख: रावण ने लक्ष्मण को कौन सी महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी थीं जो आज भी प्रासंगिक हैं

Dussehra 2025: शमी वृक्ष का पूजन कर मनाएं विजयादशमी, जानें पूजा का महत्व

अगला लेख