चंद्रमा : कलाएं बिखेरता समय का राजा, घटता-बढ़ता कम और ज्यादा, 7 अनजाने तथ्य

Webdunia
1. भारतीय कालगणना ज्योतिर्विद्या पर आधारित हैं। माहों, तिथियों, पर्वों आदि का निर्धारण बेहद सूक्ष्म विचारों के आधार पर किया गया है। चंद्रमा इसका आधार है। चंद्रमा मन का द्योतक है। पृथ्वी के समीप या दूर उसकी स्थिति और सूर्य का प्रकाश लेकर चमकने की उसकी नियति मनुष्य ही नहीं, प्राणियों को भी प्रभावित करती है। 
 
2. चंद्रमा जब जिस नक्षत्र के साथ विशेष संबंध (दूरी या कोण) बनाता है, तब ज्योतिष की भाषा में उसे चंद्रमा का नक्षत्र कहते हैं।महीनों का निर्धारण ऋषियों व ज्योतिर्विदों ने इसी आधार पर किया है। पूर्णिमा चंद्रमा की सबसे सशक्त तिथि मानी गई है। इस दिन वह अपनी सभी कलाएं बिखेरता है। 
 
3. इस दिन के साथ जिस नक्षत्र का उदय होगा, संबंधित माह उसी नाम से संबोधित होगा। जैसे जिस पूर्णिमा को 'चित्रा' नक्षत्र का उदय होता है वह माह चैत्र कहलाता है। एक नक्षत्र छोड़कर अगली पूर्णिमा का नक्षत्र होगा 'विशाखा' तब वह माह वैशाख कहलाएगा। इसी प्रकार 'ज्येष्ठा' से ज्येष्ठ, 'पूर्वाषाढ़' से आषाढ़, 'श्रवण' से श्रावण इत्यादि। 
 
4. कभी-कभार वर्ष में तेरह माह भी होते हैं। इस वर्ष में दो माह एक ही नाम के रहते हैं। यह वर्ष अधिक मास का कहलाता है। एक ही नाम के दो माह होने का कारण यह है कि इसकी दो पूर्णिमा एक ही नक्षत्र से अधिशासित रहती हैं। 
 
5. इसी तरह कुछ अंतराल के बाद कोई वर्ष क्षयमास का भी होता है अर्थात ग्यारह माह का वर्ष। क्षयमास की पूर्णिमा में उस वर्ष पूर्ववर्ती अथवा पश्चवर्ती नक्षत्र का उदय रहता है इसलिए एक माह कम हो जाता है। 
 
6. इस सूक्ष्म निर्धारण के कारण चाँद वर्ष तथा सौर वर्ष का सामंजस्य बना रहता है। सौर वर्ष 365.25 दिन का होता है जबकि चांद वर्ष 354 दिन का। इसी वजह से प्रत्येक तीसरे वर्ष एक माह का अंतर आ जाता है। अधिक मास इसी अंतर को पाटता है। 
 
7. इस व्यवस्था से त्योहारों-तिथियों में मौसम-ऋतुओं का सामंजस्य बना रहता है। हिजरी सन्‌ में ऐसी व्यवस्था नहीं है। संवत, माह, तिथियों आदि की गणनाएं भारत में जिस बारीकी से हुई हैं, उसे देखकर विश्व के कई विज्ञानवेत्ता दांतों तले उंगली दबाते हैं।  
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 4 राशियों को मिलेगा लाभ

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

काल भैरव जयंती पर करें मात्र 5 उपाय, फिर देखें चमत्कार

सभी देखें

नवीनतम

21 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

Kark Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi:  कर्क राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Mithun Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मिथुन राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

अगला लेख