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सोम प्रदोष व्रत : आश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत, पढ़ें सामग्री, पूजन विधि, मुहूर्त एवं मंत्र

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इस वर्ष आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर, दिन सोमवार को रखा जाएगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन आने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष में बिना कुछ खाए ही व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं।

यहां पढ़ें पूजन सामग्री, विधि मुहूर्त एवं मंत्र- 
 
पूजन सामग्री- गाय का कच्चा दूध, दही, गंगा जल, रोली, मौली, बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, जनेऊ, धतूरा, भांग, पवित्र जल, कपूर, शहद, इत्र, रूई, चंदन और श्रृंगार सामग्री आदि।
 
पूजन विधि- सोम प्रदोष व्रत करने वाले व्रतधारी को इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
 
पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
 
- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह से शिवजी की पूजा करें। 
 
- भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं। 
 
- अब आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। 
 
- इसके बाद शिवजी की आरती करें।
 
- रात्रि जागरण करके शिव मंत्र 'ॐ सों सोमाय नम:' या 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करें। इस तरह व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
 
उपाय- सोम प्रदोष के शुभ योग में पारद शिवलिंग को घर के पूजा स्थान पर स्थापित करना चाहिए। यदि घर में रोज पारद शिवलिंग का पूजन किया जाए तो सभी प्रकार के दोष (जैसे- पितृ दोष, कालसर्प दोष, वास्तु दोष) आदि समाप्त हो जाते हैं और जीवन में शुभ समय का आगमन शुरू हो जाता है।
 
प्रदोष व्रत पूजन के शुभ मुहूर्त- 
 
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ रविवार, 3 अक्टूबर 2021 को रात्रि 10.29 मिनट पर होकर सोमवार 4 अक्टूबर 2021 को सुबह 09.05 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा। उदयातिथि में प्रदोष व्रत रखना लाभदायक माना जाता है। अत: प्रदोष व्रत सोमवार, 4 अक्टूबर को ही रखा जाएगा।

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