Shani Jayanti Amavasya 2021
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनिदेवजी का जन्म हुआ था। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार शनि जयंती 10 जून 2021 गुरुवार को मनाई जाएगी। शनि जयंती पर इस बार शुभ संयोग के साथ 3 बड़े खास अवसर हैं। आओ जानते हैं।
शुभ संयोग :
1. रोहिणी नक्षत्र : शनि अमावस्या पर रोहिणी नक्षत्र का योग है। रोहिणी नक्षत्र के देवता शुक्र है और इसके स्वामी चंद्रदेव है। रोहिणी नक्षत्र को शुभ माना जाता है।
2. ग्रह गोचर : ग्रह गोचर अनुसार शनि जयंती के दिन मंगल कर्क में, बुध, राहु, सूर्य और चंद्रमा वृषभ में, शुक्र मिथुन में, बृहस्पति कुंभ में, शनि मकर में और केतु वृश्चि राशि में गोचकर करेंगे। शनि वक्री अवस्था में रहेंगे।
3. चतुर्ग्रही योग : वृष राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और राहु की युति चतुर्ग्रही योग बना रही है जो शुभ माना जा रहा है सूर्यग्रहण के दिन धृति और शूल योग भी बनेगा।
4. वक्री शनि : अमावस्या पर शनि अपनी ही राशि में वक्री यानी टेढ़ी चाल से चल रहे हैं. वक्री शनि शुभ फल देते हैं।
5. लग्न में शुक्र : सूर्योदय की कुंडली के लग्न भाव में शुक्र ग्रह का रहना सौभाग्य और समृद्धि बढ़ाने वाला है।
शुभ संयोग में क्या करें :
1. इस योग में पेड़-पौधे लगाना शुभ होता है और पीपल में जल चढ़ाने पितृदेव प्रसन्न होते हैं।
2. इस दिन शनि की साढ़े सात, ढैय्या या शनि दोष से मुक्त हुआ जा सकता है।
3. इस दिन लोटे में पानी, कच्चा दूध और थोड़े से काले तिल मिलाकर पीपल में चढ़ाएं। इससे सभी तरह के ग्रह दोष खत्म होंगे।
4. इस दिन शनि मंदिर या अपने घर की छत पर ध्वज यानी झंडा लगाना चाहिए। इससे केतु से जुड़े दोष खत्म होते हैं।
3 बड़े खास अवसर :
1.शनि जयंती के दिन है कंकणाकृति सूर्य ग्रहण : 10 जून 2021 गुरुवार को ज्योतिष की दृष्टि में वर्ष का पहला सूर्यग्रहण होने जा रहा है। भारतीय मानक समयानुसार इन हिस्सों में ग्रहण का प्रारंभ 1 बजकर 43 मिनट पर दिन में होगा तथा इसका मोक्ष 6 बजकर 41 मिनट शाम को होगा।
2. वट सावित्री व्रत : शनि जयंती के दिन ही वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाएगा। वर्ष में दो बार वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ माह की अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को। उत्तर भारत में अमावस्या का महत्व है तो दक्षिण भारत में पूर्णिमा का। वट पूर्णिमा 24 जून 2021 गुरुवार को है।
3. अमावस्या : इसी दिन अमावस्या भी है। यह दान-पुण्य, श्राद्ध-तर्पण पिंडदान की अमावस्या है। इस दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान का खास दिन है।