उच्चाभिलाषी ग्रह किसे कहते हैं? सफलता के लिए क्यों है जरूरी?

पं. हेमन्त रिछारिया
ज्योतिष शास्त्र में उच्चाभिलाषी ग्रहों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में दो या तीन ग्रह उच्चाभिलाषी हों तो यह जातक को जीवन में सफ़लता प्रदान करते हैं।
 
 
उच्चाभिलाषी ग्रह उन्हें कहते हैं जो अपनी उच्च राशि से ठीक एक राशि पीछे स्थित होते हैं। उदाहरण के लिए गुरु कर्क राशि में उच्च के होते हैं यदि किसी जन्मपत्रिका में गुरु मिथुन राशि में स्थित हों तो गुरु यहां उच्चाभिलाषी ग्रह कहलाएंगे क्योंकि ये अपनी उच्च राशि कर्क की ओर अग्रसर हैं। इस प्रकार की ग्रहस्थिति में गुरु शुभफलप्रद होंगे। जातक को वह सभी लाभ अपने जीवन में प्राप्त होंगे जिनके प्रतिनिधि गुरु हैं। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी उच्चाभिलाषी होकर जातक को जीवन में सफलताएं प्रदान करते हैं।

ALSO READ: जानिए क्या है होरा, ज्योतिष में क्यों है इसका विशेष महत्व
 
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

Show comments

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

एकादशी पर श्रीहरि विष्णु के साथ करें इन 3 की पूजा, घर में लक्ष्मी का स्थायी वास हो जाएगा

गंगा सप्तमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, जानिए महत्व

Shukra aditya yoga 2024: शुक्रादित्य राजयोग से 4 राशियों को होगा बेहद फायदा

04 मई 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

अगला लेख