बड़े पवित्र हैं यह साढ़े तीन दिन, जिन पर मुहूर्त नहीं देखा जाता

पं. हेमन्त रिछारिया
'मुहूर्त' अर्थात् किसी भी कार्य को करने का श्रेष्ठतम समय। शास्त्रानुसार मास श्रेष्ठ होने पर वर्ष का, दिन श्रेष्ठ होने पर मास का, लग्न श्रेष्ठ होने पर दिन का एवं मुहूर्त श्रेष्ठ होने पर लग्न सहित समस्त दोष दूर हो जाते हैं। हमारे शास्त्रों में शुभ मुहूर्त्त का विशेष महत्त्व बताया गया है किन्तु कुछ ऐसी तिथियां होती हैं जब मुहूर्त देखने की कोई आवश्यकता नहीं रहती ऐसी तिथियों को अबूझ मुहूर्त या 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' कहते हैं। ऐसे 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' की संख्या हमारे शास्त्रों में साढ़े तीन बताई गई है। जानते हैं अबूझ मुहूर्त कौन से होते हैं।
 
1. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात् गुड़ी पड़वा (हिन्दू नववर्ष)
2. विजयादशमी (दशहरा)
3. अक्षय तृतीया (अखातीज)
4. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा भाग
 
उपर्युक्त तिथियों को स्वयं सिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्राप्त है। इन तिथियों में बिना मुहूर्त का विचार किए नवीन कार्य प्रारम्भ किए जा सकते हैं। विभिन्न मतांतर से देवप्रबोधिनी एकादशी को भी अबूझ और पवित्र मुहूर्त में शामिल किया जाता है। 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछरिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
Show comments

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी पर करें ये एकमात्र पूजा, नवमी की माता भी हो जाएंगी प्रसन्न

12 साल बाद गुरु के साथ शुक्र की युति से बनेगा गजलक्ष्मी योग, 7 राशियां हो जाएंगी मालामाल

वास्तु में हर प्रवेश द्वार का है महत्व, जानें किससे क्या फायदा और क्या नुकसान

अप्रैल 2024 में 12 राशियों का भविष्‍यफल, जानें पंडित सुरेंद्र बिल्लौरे से

राहु और केतु के मकान की पहचान करके ही चयन करें घर का

kamada ekadashi date time: कामदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

Chaitra Navratri 2024: महातारा जयंती कब है?

Vastu : किचन के ऊपर बेडरूम है तो होंगे 3 नुकसान, कारण और समाधान

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि में निशा पूजा क्या होती है, कैसे करते हैं?

Aaj Ka Rashifal:15 अप्रैल 2024, किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख