Sindhara Dooj 2024: सिंधारा दूज पर यदि कर लिए यह 5 अचूक उपाय तो मिलेगा कर्ज से मुक्ति का वरदान

WD Feature Desk
सोमवार, 5 अगस्त 2024 (18:48 IST)
Sindhara Dooj 2024: हरतालिका तीज के पहले उसकी तैयारी के रूप में सिंधारा दूज मनाते हैं। यह एक श्रृंगार दिवस है। इस दिन महिलाएं सजती संवरती हैं और झुला झूलती और लोकगीत गाती है। स्त्रियां समूह गीत गाकर झूला झूलती हैं। जैसे नवविवाहित महिलाएं अपने मायके जाकर यह त्योहार मनाती हैं, जबकि कुछ महिलाएं अपने ससुराल में रहकी ही यह पर्व मनाती है। जिन लड़कियों की सगाई हो जाती है, उन्हें अपने होने वाले सास-ससुर से सिंजारा मिलता है। आओ जानते हैं इस दिन के 5 अचूक उपाय। 
 
1. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की भी पूजा की जाती है। शाम में, देवी को मिठाई और फूल अर्पण कर श्रद्धा के साथ गौरी पूजा की जाती है। ऐसा करने से माता का आशीर्वाद मिलता है।
 
2. सिंधारा दूज पर विवाहित महिलाएं 16 शृंगार करके पूजा करें और मंदिर से चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में लगाएं तो पति की आयु लंबी होती है। 
 
3. सिंधारा दूज के दिन चावल और दूध से बनी खीर का दान करने से जीवन में आ रही बाधा दूर होकर सफलता के रास्ते खुलते हैं।
 
4. सिंधारा दूज के दिन गुड़ का दान करने से कर्ज से मुक्ति के साथ ही आर्थिक समस्या दूर होती है। 
 
5. इस दिन किसी गरीब या जरूरत मंद को सफेद वस्त्र का दान करने से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है।
कैसे होती है सिंधारा दूज की पूजा :
1. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को मिठाई और फूल अर्पण कर उनकी षोडशोपचार पूजा की जाती है।
2. महिलाएं देवी की मूर्ति की पूजा करती हैं और धूप, दीपक, चावल, फूल और मिठाई के रूप में कई प्रसाद चढ़ाती हैं।
3. पूजा के बाद, बहुओं को अपनी सास को ‘बया’ भेंट करती हैं।
4. शाम को, गौर माता की पूजा पूरी भक्ति के साथ की जाती है। 
 
कैसे मनाते हैं सिंधारा दूज : मुख्य रूप से यह बहुओं का त्योहार है। इस दिन सास अपनी बहुओं को भव्य उपहार प्रस्तुत करती हैं, जो अपने माता-पिता के घर में इन उपहारों के साथ आते हैं। सिंधारा दूज के दिन, बहूएं अपने माता-पिता द्वारा दिए गए 'बाया' लेकर अपने ससुराल वापस आ जाती हैं। 'बाया' में फल, व्यंजन और मिठाई और धन शामिल होता है। शाम को गौर माता या देवी पार्वती की पूजा करने के बाद, वह अपनी सास को यह 'बाया' भेंट करती हैं। सिंधारा दूज के दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और इस दिन बेटियां मायके से ससुराल भी आती हैं। मायके से बाया लेकर बेटियां ससुराल आती हैं। तीज के दिन शाम को देवी पार्वती की पूजा करने के बाद बाया को सास को दे दिया जाता है। कुछ महिलाएं इस दिन उपवास करती है तो कुछ पूजा नियमों का पालन करती हैं।
 
श्रृंगार और झूला उत्सव : 
1. इस दिन व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक पोशाक भी पहनती हैं। 
2. हाथों में मेहंदी लगाती हैं और आभूषण पहनती हैं।
3. इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। 
4. चूड़ीयां इस उत्सव का का खास अंग है। वास्तव में, नई चूड़ीयां खरीदना और अन्य महिलाओं को चूड़ीयों का उपहार देना भी इस उत्सव की एक दिलचस्प परंपरा है।
5. सिंधारा दूज के दिन ही सावन के झूले भी पड़ते हैं। महिलाएं झूले झूलते हुए गाने गाती हैं।
 
सिंधारा दूज की कथा : इस दिन चंचुला देवी ने मां पार्वती को सुन्दर वस्त्र आभूषण चुनरी चढ़ाई थी जिससे प्रसन्न होकर मां ने उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: आज क्‍या कहते हैं आपके तारे? जानें 22 नवंबर का दैनिक राशिफल

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

अगला लेख