इस वर्ष 2021 की पहली अमावस्या 2 दिन पड़ रही है। पहली अमावस्या 11 अप्रैल को चैत्र श्राद्धादि की मनाई जाएगी, इस दिन पितरों का श्राद्ध एवं तर्पण करने की मान्यता है तथा इसके साथ ही 12 अप्रैल, सोमवार को स्नान-दान की अमावस्या मनाई जा रही है। जिसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। यह अमावस्या दरिद्रता को दूर करने के लिए खास मानी गई है। सोमवती अमावस्या का व्रत सुहागिनों का प्रमुख व्रत माना जाता हैं। सोमवार चंद्रमा का दिन हैं। इस दिन सूर्य तथा चंद्रमा एक सीध में स्थित होते हैं। इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य फल प्राप्ति वाला माना जाता हैं। पुराणों में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है और माना गया हैं कि जब भी अमावस्या दो दिन की होती है तो पहले दिन श्राद्धादि की अमावस्या और दूसरे दिन स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाती है।
शास्त्रों के अनुसार जिस अमावस्या को सोमवार हो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। हमारे शास्त्रों में इस दिन के लिए कुछ विशेष प्रयोग बताए गए हैं। जिनसे जीवन के समस्त कष्टों का निवारण किया जा सकता है।
यहां प्रस्तुत हैं कुछ सरल उपाय-
1. सोमवती अमावस्या के दिन प्रात: पीपल के वृक्ष के पास जाइए, उस पीपल के वृक्ष को एक जनेऊ दीजिए और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम भी उसी पीपल को अर्पित कीजिए। फिर पीपल और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिए। तत्पश्चात 108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा करके, शुद्ध रूप से तैयार की गई एक मिठाई पीपल के वृक्ष को अर्पित कीजिए। परिक्रमा करते वक्त 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। 108 परिक्रमा पूरी होने के बाद पीपल और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हुए अपने हाथों हुए जाने-अनजाने अपराधों की क्षमा मांगें। सोमवती अमावस्या के दिन की गई इस पूजा से जल्दी ही आपको उत्तम फलों की प्राप्ति होने लगती है।
2. सोमवती अमावस्या के दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।
3. पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या के अतिरिक्त भी प्रति शनिवार पीपल के वृक्ष की पूजा करना चाहिए।
4. सोमवती अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है।
5. सोमवती अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा (वस्त्र) दान करने से पितृ दोष कम होता है।
6. सोमवती अमावस्या पर निम्न मंत्र का जाप करें-
मंत्र- 'अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर्अवन्तिका पुरी, द्वारावतीश्चैव सप्तैता मोक्ष दायिका।।
- गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा, सिंधु कावेरी जलेस्मिने संन्निधि कुरू।।'
अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन और पूजन-अर्चन के लिहाज से अधिक श्रेष्ठ होता है। अत: इस दिन चिंतन-मनन करना लाभदायी होता है।
इस वर्ष चैत्र अमावस्या पर पूजन के शुभ मुहूर्त निम्नानुसार रहेंगे।
चैत्र अमावस्या तिथि का आरंभ रविवार, 11 अप्रैल 2021 को प्रातः 06.05 मिनट से हो रहा है तथा सोमवार, 12 अप्रैल 2021 को प्रातः 08.02 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। अत: इस समयावधि में पितृ तर्पण, दान-पुण्य करना श्रेष्ठ रहेगा।