Mithun sankranti 2023 : वृषभ संक्रांति के बाद अब मिथुन संक्रांति होगी। सूर्यदेव 15 जून 2023 की शाम को 06:07 बजे मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर संक्रांति कहलाता है। आओ जानते हैं कि इस संक्रांति का क्या होगा देश और दुनिया पर असर।
मिथुन संक्रांति और ज्योतिष:-
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मिथुन संक्रांति को रज पर्व भी कहा जाता है।
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मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे।
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मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं।
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ओड़िसा में मिथुन संक्रांति का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य से अच्छी फसल के लिए बारिश की मनोकामना करते हैं।
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इस दिन से सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा भी बदल जाएगी। इस बदलाव को बड़ा माना जाता है।
क्या होगा देश दुनिया पर असर?
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सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो बारिश की संभावना बनती है। रोहिणी से अब मृगशिरा में प्रवेश करेंगे।
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मिथुन संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाती है।
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ज्योतिषियों के अनुसार मिथुन संक्रांति के दौरान वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसीलिए सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है।
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पशु पक्षियों के लिए यह संक्रान्ति अच्छी मानी गई है।
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इस बार की संक्रांति के चलते अच्छी बारिश के संकेत मिलते हैं।
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वस्तुओं का मूल्य सामान्य रहने वाला है।
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अनाज भण्डारण में वृद्धि होगी।
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लोगों की जीवन में धन और समृद्धि बढ़ने की संभावना है।
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लोगों को सेहत का लाभ होगा
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दो राष्ट्रों के बीच संबंधं में सुधार होगा।