जैसा कि नाम से स्पष्ट है गोधूलि अर्थात् गाय के पैरों से उड़ती हुई धूल। जब विवाह मुहूर्त वाले दिन कोई शुद्ध लग्न प्राप्त नहीं हो रहा हो तो ऐसी परिस्थिति में गोधूलि लग्न में विवाह सम्पन्न करने का निर्देश है। ऐसी मान्यता है कि गोधूलि लग्न में चन्द्र दोष को छोड़कर शेष सभी दोष शान्त हो जाते हैं। किन्तु गोधूलि लग्न केवल शुद्ध विवाह लग्न के अभाव में ही ग्राह्य है।
गोधूलि लग्न का समय-
वैदिक पंचांग अनुसार स्थानीय सूर्यास्त से 12 मिनिट पूर्व एवं सूर्यास्त के 12 मिनिट पश्चात् के समय को गोधूलि काल कहा जाता है। इसका आशय यह हुआ कि सूर्यास्त के समय की 1 घड़ी अर्थात् 24 मिनट गोधूलि काल है। कुछ विद्वान इसे 2 घड़ी अर्थात् सूर्यास्त से 24 मिनट पूर्व और सूर्यास्त से 24 मिनट पश्चात् का भी मानते हैं।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया