Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कब-कब बरसेंगे मेघ…!

Advertiesment
हमें फॉलो करें Rainy Season 2025
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

, सोमवार, 23 जून 2025 (14:15 IST)
भीषण गर्मी से उतप्त धरा को अब बारिश की प्रतीक्षा है। तपिश से व्याकुल जनमानस भी अब पावस ऋतु की बाट जोह रहा है। मौसम विज्ञानियों द्वारा वर्षा ऋतु के आगमन व मानसून की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। आज सैटेलाइट के माध्यम से मौसम के मिज़ाज का पता लगाना बेहद आसान कार्य हो गया है, किंतु प्राचीन समय में जब यह तकनीक उपलब्ध नहीं थी तब भी ग्रहाचार की गणना कर मौसम के बारे में लगभग सटीक अनुमान लगाया जाता रहा है।ALSO READ: देवशयनी एकादशी 2025 में कब आएगी, सुख समृद्धि के लिए कौन से 5 उपाय करें?
 
आइए जानते हैं कि ग्रहाचार की गणना से कैसे मानसून का पूर्वानुमान लगाया जाता है? 
 
ज्योतिष शास्त्रानुसार नवग्रहों की अपनी एक नैसर्गिक प्रकृति होती है, जिसके आधार पर उन्हें सौम्य या क्रूर ग्रहों की संज्ञा दी जाती है। इसी प्रकार नक्षत्र के विभाजन अनुसार सात प्रकार की नाड़ियों का उल्लेख हमें पंचांग में मिलता है, ये सात नाड़ियां हैं-
 
1. चण्डा 2. समीरा 3. दहना 4. सौम्या 5. नीरा 6. जला 7. अमृता।
 
इन सभी नाड़ियों का एक प्रतिनिधि ग्रह होता जो क्रमश: 1. शनि 2. सूर्य 3. मंगल 4. गुरु 5. शुक्र 6. बुध 7. चंद्र। इनमें चण्डा, समीरा व दहना निर्जल नाड़ियां हैं जबकि नीरा, जला व अमृता सजल नाड़ियां हैं वहीं सौम्या मध्य नाड़ी है।
 
जब कोई सौम्य या क्रूर ग्रह सजल नाड़ियों के नक्षत्र में स्थित होता है तब बारिश होने की पूर्ण संभावना होती है। यदि तीन या उससे अधिक ग्रह सजल नाड़ियों के नक्षत्र में स्थित होते हैं तब अतिवृष्टि होती है।

अभी तक सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में स्थित हैं जो दहना नाड़ी अंतर्गत आता है, वहीं मंगल आर्द्रा नक्षत्र में स्थित हैं जो मध्य नाड़ी अंतर्गत आता हैं। सौम्य ग्रह शुक्र, चंद्र व बुध क्रमश: भरणी, रोहिणी, शतभिषा में स्थित थे, जो क्रमश: चण्डा (निर्जल), समीरा (निर्जल), जला (सजल) में स्थित हैं। इन ग्रहस्थितियों में बारिश की नहीं होती है। 
 
प्रदेश में बन रहे हैं अतिवृष्टि के योग -
 
वर्तमान समय में सूर्य-मृगशिरा (दहना), चंद्र-पूर्वाभाद्रपद (नीरा), मंगल-पूर्वाभाद्रपद (नीरा), बुध-आर्द्रा (सौम्या), गुरु-उत्तराषाढ़ा (नीरा), शुक्र-रोहिणी (समीरा), शनि-उत्तराषाढ़ा (नीरा), राहु-मृगशिरा (दहना) व केतु-मूल (दहना) नाड़ी के अंतर्गत स्थित हैं। जैसा कि स्पष्ट है कि चार ग्रह 'नीरा' नामक सजल नाड़ी में स्थित हैं, वहीं ज्योतिष शास्त्रानुसार चंद्र-मंगल-गुरु यदि एक ही सजल नाड़ी में स्थित हों तो अतिवृष्टि होती है।

वर्तमान समय में चंद्र-मंगल-गुरु 'नीरा' नामक सजल नाड़ी में स्थित हैं जो कि अतिवृष्टि का योग बना रहे हैं। अत: आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश में मेघों की गरज के साथ भारी बारिश होने की पूर्ण संभावना है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी, इस घटना से होगी तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत